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बीजेपी नेता ऋतुराज सिन्हा ने महिला आरक्षण बिल को लेकर विपक्ष पर साधा निशाना, कहा- बहती गंगा में हाथ धो रहें कुछ...

बीजेपी नेता ऋतुराज सिन्हा ने महिला आरक्षण बिल को लेकर विपक्ष पर साधा निशाना, कहा- बहती गंगा में हाथ धो रहें कुछ...

PATNA: भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विशेष सत्र बुलाकर संसद की पटल पर ‘महिला आरक्षण बिल’ पेश किया गया। भारतीय जनता पार्टी हमेशा से महिलाओं को उनका हक दिलाने और उन्हें सशक्त करने की पहल करते आई है। महिला उत्थान के इसी विचार पर अडिग रहते हुए 1998, 1999, 2002 और 2003 में अटल के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ‘महिला आरक्षण बिल’ पेश किया लेकिन कांग्रेस, राजद और सपा सहित तमाम दलों ने हमेशा इस बिल का घोर विरोध किया था। 

ऋतुराज ने कहा कि किसी ने सही कहा है कि समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है। आज 27 सालों बाद जब पूरा देश इसके पक्ष में है, तो बहती गंगा में हाथ धोने के लिए घमंडिया गठबंधन और उसमें शामिल तमाम दल क्रेडिट लेने की होड़ में सबसे आगे खड़े हैं, लेकिन वो ये भूल रहे हैं कि महिलाओं के हित में लाये गए इस बिल का सबसे कड़ा और असंसदीय तरीके से विरोध उनलोगों ने ही किया था। 

उन्होंने कहा कि बिहार में जदयू ‘महिला आरक्षण बिल’ के समर्थन में है, लेकिन राजद और उनके नेता अलग राग अलाप रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के खिलाफ राजद का ये राग नया नहीं है। 1998 में राजद सांसद सुरेंद्र यादव ने तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से बिल की कॉपी छीनकर संसद की पटल पर फाड़ दिया था। वो तारीख भारत के संसदीय इतिहास के पन्नों में काले अक्षरों में दर्ज हो गई। जब भी संसद में अमर्यादित और असंसदीय व्यवहार और घटनाओं की विवेचना होगी, तो सुरेंद्र यादव के इस कृत्य को शीर्ष पर रखा जाएगा।

2010 में लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि ये बिल मेरी लाश पर पास होगा। समाजवाद की आड़ में लालू यादव, मुलायम यादव और शरद यादव के अंधविरोध की वजह से देश की आधी आबादी लोकतंत्र के मंदिर में अपने हक से वंचित रह गई। सिन्हा ने कहा कि बिहार और देश की महिलाएं बहुत समझदार हैं। उन्हें अपनी हितकारी पार्टियों और मौकापरस्त पार्टियों में अंतर समझ आता है। कभी महिला आरक्षण बिल का पुरजोर विरोध करने वाली पार्टियां महिला वोट बैंक साध कर अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं।

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