PATNA l बिहार में भले ही भाजपा जदूयू की साझा सरकार है। लेकिन हाल के दिनों में दोनों पार्टियों के नेताओं द्वारा लगातार एक दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं। इनमें एक तरफ जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा और दूसरे वरिष्ठ नेता भाजपा के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं भाजपा की तरफ से भी लगातार बिहार सरकार के काम और पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से एक बार फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग तेज हो गई है। जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष व एमएलसी उपेन्द्र कुशवाहा ने नीती आयोग की रिपोर्ट के बहाने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। वहीं कुशवाहा की मांग को लेकर भाजपा की तरफ से जवाब भी मिल गया है। भाजपा के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय ने पलटवार करते हुए कहा है कि जब आप केंद्र में मंत्री थे, तो बिहार के मुख्यमंत्री के सामने गिड़गिड़ाने के बाद भी केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन नहीं मिला था।
संतोष रंजन राय ने लिखा है कि जब आप केंद्र में मंत्री थे तो केंद्रीय विद्यालय केलिए ज़मीन @NitishKumar जी से माँगें थे आप नाक रगड़ के रह गए ज़मीन नहीं मिला। अंत:आपसे विनम्र निवेदन है अब तो आप JDU के नेता हैं विद्यार्थियों के परेशानी को दूर करने केलिए केंद्र की सरकार को जल्द से ज़मीन उपलब्ध कराने की कृपा करें। साफ जाहिर है कि बिहार को विशेष राज्य की मांग को लेकर दोनों पार्टियों में दूरियां लगातार बढ़ रहा है।
ऐसे हालत में दूसरे राज्य से नहीं कर सकते मुकाबला
इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके उपेंद्र कुशवाहा ने विशेष राज्य की मांग को फिर दोहराया था। उन्होने कहा था कि बिहार-झारखंड विभाजन उपरांत प्राकृतिक संपदाओं का अभाव और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाओं का लगातार दंश के बावजूद @NitishKumar जी के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है। लेकिन वर्तमान दर पर अन्य राज्यों की बराबरी संभव नहीं है। @NITIAayog की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है। अतः विनम्र निवेदन है कि 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' देने की @Jduonline की वर्षो लंबित मांग पर विचार करें और बिहार वासियों को न्याय दें।
बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जदयू की तरफ से पहली बार नहीं की गई है। बिहार की सरकार बनी ही विशेष राज्य के मुद्दे पर थी। लेकिन न तो पूर्व में यूपीए सरकार में उनकी मांग को पूरा किया गया और न ही मौजूदा मोदी सरकार ने इन मांगों को माना है। अब फिर से विशेष राज्य की मांग जोर पकड़ने लगी है।