पटना. गोपालगंज व्यवहार न्यायालय ने बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री रामप्रवेश राय को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में दोषी पाया है। यहा फैसला एमपी एमएलए कोर्ट के जज मानवेंद्र मिश्रा ने सुनाया है। मामले में कोर्ट ने बीजेपी विधायक पर एक हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। साथ ही 1000 का जुर्माना कोर्ट में जमा नहीं करने पर 6 महीने की जेल भी हो सकती है।
बीजेपी विधायक के ऊपर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का आरोप है। रामप्रवेश राय बरौली से बीजेपी विधायक है। उनके खिलाफ पूर्व भी गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। 22 अक्टूबर को ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और 5000 रुपये की जुर्माना की राशि भी जमा की गई थी। तब उन्हें सशर्त जमानत दी गई थी। इस बार आज 9 नवंबर को मानवेंद्र मिश्रा की कोर्ट ने उन्हें दोबारा इसी मामले को लेकर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अगर वह जुर्माने की राशि नहीं भरते हैं, तब उन्हें 6 महीने की कारावास होगी।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट के आदेश में बताया गया है, 'दंडादेश के बिंदु पर उभयपक्षों को सुना गया, अभिलेख को अवलोकन किया गया। अभियुक्त रामप्रवेश राय का यह कथन है कि उनका यह प्रथम अपराध है तथा वे एक वरिष्ठ वृद्ध नागरिक हैं कुछ गम्भीर बीमारी से ग्रसित हैं। उनका ईलाज राजधानी पटना के अस्पताल में नियमित रूप से समय-समय पर किया जा रहा है। भविष्य में इस तरह के किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। सदैव विधि द्वारा स्थापित कानून का पालन करेंगे तथा एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। अतः उनके इस प्रथम अपराध पर सहानुभूतिपूर्वक, दयापूर्वक विचार करते हुए माफ कर दिया जाए ।
विद्वान अभियोजन पदाधिकारी निवेदन करते हैं कि यह सही है कि अभियुक्त रामप्रवेश राय का यह प्रथम अपराध है, किन्तु इन्होंने बिहार सरकार के मंत्री के पद पर रहते हुए चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया तथा इनके कृत्य से आम मतदाता प्रभावित हुए, इन्होंने लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्य का जानबूझकर उल्लंघन किया है। अतः इन्हें सजा दी जाए।
अभियुक्त रामप्रवेश राय तत्कालीन पर्यटन मंत्री बिहार सरकार, वर्तमान विधायक बरौली ने अपना दोष स्वीकार किया है। अभियुक्त का उम्र वर्तमान में 63 वर्ष है तथा वे कुछ रोगों से ग्रसित हैं। अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह प्रथम अपराध है, किन्तु अभियुक्त ने पर्यटन मंत्री के पद पर रहते हुए आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता की बात की गई है। अर्थात् विधि के दृष्टि में सभी बराबर हैं, कानून से उपर कोई नहीं है। अतः अभियुक्त रामप्रवेश राय को भारतीय दंड संहिता की धारा - 171 एफ के अंतर्गत दोषसिद्ध पाते हुए 1000 /- (एक हजार रुपये) अर्थदण्ड की सजा दी जाती है। अभियुक्त द्वारा अर्थदण्ड की राशि का भुगतान नहीं करने पर छहः माह का कारावास भुगतना होगा।'