बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने नई शिक्षक नियमावली में बदलाव को बताया तुगलकी फरमान, कहा- निर्णय को जल्द वापस लें सरकार

PATNA: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि शिक्षक भर्ती में बिहार के स्थाई निवासी की शर्त को वापस लेने संबंधी तुगलकी फरमान को बिहार प्रतिभा का अपमान बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।

उन्होंने कहा है कि मंत्री का यह बयान हास्यास्पद है कि अंग्रेजी, गणित, फिजिक्स में योग्य शिक्षक नहीं मिलने के कारण बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों को बुलाया जा रहा है। बिहार के लड़के अखिल भारतीय सेवाओं और आईआईटी आदि परीक्षाओं में परचम फहरा रहे हैं और मंत्री कह रहे हैं कि इन विषयों में लड़के नहीं मिल रहे हैं। 15 जून के विज्ञापन में बिहार डोमिसाइल की शर्त अनिवार्य रखी गई थी, फिर अचानक उसे क्यों हटा दिया गया? क्या कक्षा एक से पांच के लिए भी बिहारी प्रतिभा पढ़ाने योग्य नहीं है कि बाहर के लोगों को बुलाया जाए।

उन्होंने कहा कि शिक्षक नियुक्ति में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। चार लाख नियोजित शिक्षकों और एक लाख से ज्यादा टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को पुनः परीक्षा में बैठने की बाध्यता उनके साथ विश्वासघात है। अब एक ही विद्यालय में तीन प्रकार के शिक्षक हो जाएंगे। अभी तक आठ बार विज्ञापन में संशोधन किया जा चुका है। नई नियुक्ति के कारण 11,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इस कारण सरकार मुकदमे में फंसा कर इस परीक्षा टालने का बहाना खोज रही है।

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बतातें चलें कि, नई शिक्षक नियमावली में सरकार ने संशोधन करते हुए कहा कि, अब किसी भी राज्य के अभ्यर्थी बिहार में शिक्षक बन सकते हैं। वहीं सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षक अभ्यर्थी इसका जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।