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निकाय चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को मात देने का सपना फिर रहा अधूरा

निकाय चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को मात देने का सपना फिर रहा अधूरा

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में निकाय चुनाव परिणाम से भाजपा को बड़ा झटका लगा है. राज्य में अपनी जड़ों को मजबूत करने में लगी भाजपा को इस महत्वपूर्ण चुनाव से बड़ी उम्मीद थी. लेकिन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएससी के सामने भाजपा को लोगों ने नहीं स्वीकारा और कमल एक बार फिर से पश्चिम बंगाल में कुम्भला गया. 

निकाय चुनाव के दोपहर एक बजे तक आए परिणाम में ममता बनर्जी की पार्टी टीएससी सबसे बड़ी जीत हासिल कर नम्बर एक पर थी. टीएमसी ने राज्य की 107 नगरपालिकाओं में से 93 में जीत दर्ज की है. राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के मुकाबले में न तो भाजपा और ना ही कांग्रेस ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया है. 

खासकर तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और नंदीग्राम से विधायक शुभेंदु अधिकारी का ‘गढ़’ मानी जाने वाली कांथी नगरपालिका में जीत हासिल की है. वहीं उत्तर बंगाल की पहाड़ों की राजनीति में नवआगंतुक ‘हमरो पार्टी’ ने तृणमूल कांग्रेस, गोरखाजनमुक्ति मोर्चा और भाजपा को पछाड़ कर दार्जिलिंग नगरपालिका पर कब्जा कर लिया है. 

तृणमूल पहले ही 93 नगरपालिकाओं में जीत दर्ज कर चुकी है जबकि सात अन्य नगरपालिकाओं में उसे बढ़त हासिल है. वहीं माकपा, भाजपा और कांग्रेस जैसे दल एक दो सीट पर ही बढ़त बनाए हुए है. उन्हें अभी उन सीटों पर जीत हासिल नहीं हुई है. 

कम से कम चार नगरपालिकाएं ऐसी हैं जहां पर किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. इनमें मुर्शिदाबाद की बेलडांगा, पुरुलिया जिले की झालदा, हुगली जिले की चाम्पदानी और पूर्वी मिदनापुर की इगरा नगरपालिका शामिल हैं और यहां से जीते निर्दलीयों की भूमिका अहम हो गई है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के 10 महीने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को नगर निकायों में भी पूरे विपक्ष का सूपड़ा साफ करने से यह ममता बनर्जी की लोकप्रियता और स्वीकार्यता में बड़ा इजाफा माना जा रहा है. 

विधानसभा चुनाव के करीब एक साल बाद कराए गए नगर निकाय चुनाव में राज्य के विभिन्न हिस्सों से हिंसा, धांधली और पुलिस से झड़प की खबरें आई थी. भाजपा ने इस चुनाव प्रक्रिया को ‘‘ लोकतंत्र का मजाक’ करार देते हुए हिंसा के खिलाफ सोमवार को 12 घंटे का बंद बुलाया था. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने आरोपों को आधारहीन बताकर खारिज कर दिया. तृणमूल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां हार का आभास होने के बाद बहाना तलाश रही हैं.


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