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BJP के निशाने पर 2 जाति के नेता! अब 'नीतीश मिश्रा' का हुआ अपमान तो लोग पूछ रहे...औकात है तो अपने समाज का 1 % वोट भी 'भाजपा' को दिलवा दें

BJP के निशाने पर 2 जाति के नेता! अब 'नीतीश मिश्रा' का हुआ अपमान तो लोग पूछ रहे...औकात है तो अपने समाज का 1 % वोट भी 'भाजपा' को दिलवा दें

PATNA: बिहार बीजेपी नेतृत्व और दल के कर्ता-धर्ता को पढ़े-लिखे-तेजतर्रार सवर्ण जाति से आने वाले नेताओं से चिढ़ सी हो गई है। जहां मौका मिल रहा पर कतरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। तमाम कोशिश के बाद भी अगर कुछ नेताओं को ठिकाने लगाने की रणनीति सफल नहीं हो रही तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर जलील किया जा रहा ताकि उनका मनोबल टूटे। बिहार विधान परिषद चुनाव फिर बोचहां उप चुनाव के बाद अमित शाह के कार्यक्रम के दौरान जो वाकये हुए उससे इस बात की पुष्टि हो रही। 

बिहार में भाजपा का कालीदास कौन ?

विधान परिषद चुनाव के दौरान भाजपा नेतृत्व ने तेजतर्रार नेता व सीटिंग कैंडिडेट सच्चिदानंद राय का टिकट ऐन वक्त पर काट दिया था . वहां से एक गुमनाम व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया गया. हालांकि बीजेपी नेतृत्व को इस करनी का फल भोगना पड़ा. सारण के वोटरों ने करारा जवाब दिया. भाजपा के कर्ताधर्ताओं ने जिसे बेटिकट किया था वो रिकार्ड मतों के अंतर से फिर से चुनाव जीत कर नेतृत्व के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया.  बोचहां उप चुनाव में भी बीजेपी के कुछ नेताओं और मंत्री ने दल के कोर वोटरों यानि अगड़ी जाति के वोटरों को नाराज किया। इसका खामियाजा दल को भुगतना पड़ा. बोचहां के रण में दल की ऐसी दुर्दशा हुई कि नेतृत्व पानी-पानी हो गया। बोचहां चुनाव के बाद एक बार फिर से दल के तेजतर्रार नेताओं को टारगेट किया जाने लगा है। अमित शाह के कार्यक्रम की तैयारी बैठक में जिस तरह से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ब्राह्मण समाज से आने वाले तेजतर्रार नेता व विधायक नीतीश मिश्रा पर भड़के इसका प्रभाव अब देखने को मिलने लगा है। यह घटना 13 अप्रैल की है जब प्रदेश कार्यालय में 23 तारीख को आयोजित विजयोत्सव कार्यक्रम की तैयारी को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। उसी बैठक में पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता नीतीश मिश्रा की सलाह पर नित्यानंद राय भड़क गय़े थे सार्वजनिक तौर पर जलील करने की कोशिश की थी। मतलब साफ है कि बिहार में नेतृत्वकर्ता कालीदास की भूमिका में बैठ गया है। जिस कोर वोटर के सहारे चुनाव में बीजेपी की नैया पार लगती है उसे ही डुबाने में लगी है। जिस डाल पर बैठे हैं उसको काटने का सिलसिला शुरू कर दिया है। दो चुनाव परिणामों ने सबक देने की भरपूर कोशिश की है,लेकिन भाजपाई कालिदास मानने को तैयार नहीं। 

नीतीश मिश्रा पर सार्वजनिक बिफरे थे नित्यानंद राय

बिहार में गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम खत्म होने के बाद यह गुबार फूटा है। उनके कार्यक्रम तक तो यह खबर तुल नहीं पकड़ा लेकिन जैसे ही कार्यक्रम की समाप्ति हुई इसके बाद पूरे बिहार में यह खबर तेजी से फैली है। बिहार बीजेपी में शालीन, पढ़े-लिखे,तेजतर्रार नेताओं में अगर किसी की चर्चा होती है तो वे हैं नीतीश मिश्रा। वे न सिर्फ दल के अंदर बल्कि विधानसभा में भी सवाल के माध्यम से छाप छोड़ते हैं। नीतीश मिश्रा नीतीश कुमार की कैबिनेट में कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने बेहतर तरीके से अपने विभाग का संचालन किया है। शांत और मृदुभाषी नीतीश मिश्रा की काफी पढ़े-लिखे नेताओं में शुमार है। अपनी बातों को स्पष्ट तरीके से बिना विवाद के रखने की कला है। 13 तारीख की बैठक में नित्यानंद राय ने जिस तरह से भड़के उसके बाद दल के अंदर हलचल मची हुई है। इतने दिनों तक दल के अंदर चर्चा थी लेकिन अब तो खुलेआम चर्चा हो रही। सोशल मीडिया में नित्यानंद राय के बारे में काफी भला-बुरा कहा जा रहा। नीतीश मिश्रा के प्रति सहानुभूति देखी जा रही है। दल के अंदर भी यह चर्चा है कि नीतीश मिश्रा जैसे लोगों के साथ नित्यानंद राय का बर्ताव कहीं से उचित नहीं कहा जा सकता। सोशल मीडिया में यह भी चर्चा छिड़ी है कि जो नेता अपने समाज का एक फीसदी वोट भी भाजपा को नहीं दिला सकता वो हमारा कर्ता-धर्ता बना हुआ है और सीएम इन वेटिंग हैं। जो दल का कोर वोटर है उस समाज को और उसके नेताओं को ऐसे लोगों द्वारा जलील किया जा रहा। 

नित्यानंद राय के खिलाफ बीजेपी कोर वोटरों में गुस्सा

नीतीश मिश्रा जैसे बड़े कद के नेता को फजीहत किये जाने के बाद दल के अंदर और बाहर तेज चर्चा है। इनकी जगह अगर कोई दूसरा नेता होता है शायद इतनी चर्चा भी नहीं होती। इस प्रकरण के बाद मिथिलांचल इलाके के लोगों में भारी गुस्सा देखा जा रहा। ब्राह्म्ण समाज के लोगों में अँदर ही अंदर नेतृत्व व नित्यानंद राय के प्रति भारी गुस्सा है। यह गुस्सा नित्यानंद राय के संसदीय क्षेत्र उजियारपुर में भी देखने को मिल रहा। परशुराम सेवा संघ के मुख्य प्रवक्ता अनिल कुमार झा ने कहा है कि नीतीश मिश्रा पर किसी तरह की टिप्पणी करने से पहले नित्यानंद राय को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए. वे जिस जगह से सांसद हैं वहां के ब्राह्मण यदि उन्हें वोट न दे तो उनकी औकात पता चल जाएगी. उन्हें मालूम नहीं कि नीतीश मिश्रा के पिता बिहार के 3 दफे मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नित्यानंद राय यह भी भूल गए कि जिस समाज का वोट लेकर वे सदन पहुंचे हैं उसमें नीतीश मिश्रा का कितना बड़ा योगदान है . ब्राह्म्ण समाज का अपमान हमलोग बर्दाश्त नहीं कर सकते। 

अपने समाज का 1% वोट नहीं दिला पाये वो ब्राह्मणों को कर रहे बेइज्जत

लखीसराय से आने वाले बीजेपी से जुड़े नेता रामनिवास कुमार फेसबुक पर लिखते हैं कि स्वघोषित भावी मुख्यमंत्री अपने समाज का 1 फीसदी वोट भी नहीं ला पाए। लेकिन जो समाज का वोट भाजपा में पहले से है इसे खोने का कारण जरूर बनेंगे। पहले भूमिहार नेताओं को औकात दिखाया और अब ब्राह्मण नेताओं नेता की बेइज्जती। लालू यादव अराजकता वर्ग का सिर्फ सिंबल थे। वैसे ही अगर ये भावी वाले सच में मुख्यमंत्री बन गये तो ये उससे बड़ा सिंबल बनेंगे। इसके पहले दल के अंदर भूमिहार नेताओं को ठिकाना लगाये जाने और सच्चिदानंद राय को टिकट काटने, मुजफ्फरपुर में भूमिहार समाज से आने वाले पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को एक मंत्री द्वारा प्रताड़ित किये जाने को लेकर इस समाज में गुस्सा था ही, अब नीतीश मिश्रा को खरी-खोटी सुनाये जाने के बाद ब्राह्मणों में भी भारी गुस्सा देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व को पता नहीं क्या हो गया है.....एक-एक कर कोर वोटरों को नाराज कर रही है। हालांकि बाजपा ने बोचहां में अपना हश्र देख चुकी है, फिर भी सुधार नहीं हो रहा।  

जानें क्या हुआ था

कुछ दिन पूर्व संपन्न हुए वीर कुंवर सिंह विजय उत्सव की तैयारी के दौरान गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा आपस में ही उलझ गए थे। बात 13 अप्रैल की है। बताया जा रहा है कि नित्यानंद राय ने पूर्व मंत्री को खूब खरी खोटी सुना दी और यहां तक कह दिया कि यह 100 लोगों को भी इकट्ठा नहीं कर सकते हैं। नित्यानंद राय बिहार बीजेपी के तमाम विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और झंझारपुर से बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने सुझाव दिया कि इस कार्यक्रम में जगदीशपुर के आसपास के 10 जिलों पर ज्यादा फोकस किया जाए। वहां से बड़ी भीड़ लाई जाए। बाकी जगहों से छोटी संख्या में लोगों की उपस्थिति दर्ज कराया जाए। इससे कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा भीड़ भी होगी और पैसे भी खर्च कम होंगे।जैसे ही यह बात नित्यानंद राय ने सुनी वह आग बबूला हो गए। उन्होंने खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी। नित्यानंद राय ने सभी विधायकों से कम से कम एक-एक हजार लोगों को जगदीशपुर की सभा में लाने का टास्क दिया था।



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