AURANGABAD : केंद्रीय टीम कल यानी 13 मई को औरंगाबाद के सदर अस्पताल परिसर में रेडक्राॅस सोसाईटी द्वारा संचालित ब्लड बैंक का निरीक्षण करने आने वाली है। यह निरीक्षण इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योकि इसी टीम की रिपोर्ट के आधार पर रक्त अधिकोष के लाइसेंस का नवीकरण होना है। दीगर बात यह है कि ब्लड बैंक के लाइसेंस के नवीकरण का मामला पिछले एक साल से अटका पड़ा है। लाइसेंस की अवधि शेष रहने के बावजूद संबंधित महकमा ब्लड बैंक के लाइसेंस के नवीकरण के मामले में इस बात को लेकर अड़ा हुआ था कि यह रक्त अधिकोष माॅडल ब्लड बैंक के मानको पर खरा नही उतर रहा था। लिहाजा नवीकरण के लिए शर्तें तय की गई। शर्तां को पूरा करने में स्वास्थ्य महकमें का पूरा अमला लग गया। इस बीच केंद्रीय टीम के आने की तारीख भी नजदीक आ गई। तारीख नजदीक आते ही दिन रात की तर्ज पर काम होने लगा। साढ़े नौ लाख की लागत से ब्लड बैंक का विस्तार किया गया। आवश्यक उपकरण खरीदे गये। बिजली वायरिंग दुरुस्त की गई। फर्नीचर से लेकर चौखट-दरवाजे और पर्दे तक चकाचक किये गये। लिहाजा अब ब्लड बैंक नई नवेली दुल्हन की तरह सजी दिख रही है।
स्वास्थ्य महकमें का पूरा जोर इस बात पर है कि हर हाल में ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीकरण हो जाएं और कोई कमी बाकी न रहे। हालांकि मामले का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि स्वास्थ्य विभाग ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीकरण कराने के चक्कर में मानवीय पहलुओं को भूल गया है। इधर ब्लड बैंक दुल्हन की तरह सज रही है और उधर जरुरतमंद खून के लिए चक्कर काट रहे है। इसके बावजूद खून नही मिल रहा है। जिंदगी और मौत से जूझ रही अपनी बहन के लिए खून की जरुरत पड़ने पर रक्त लेने ब्लड बैंक आये रेगुलर डोनर रहे उदय तिवारी ने बताया कि उनकी बहन का सिजेरियन से बच्चा हुआ है। उसे खून चढ़ाने की जरुरत है। वे चार घंटे से यहां ब्लड बैंक के कर्मियों की चिरौरी कर रहे है। लेकिन उन्हे खून नही मिल रहा है। जबकि सवाल उनकी बहन की जिंदगी और मौत का है। केंद्रीय टीम की आवभगत के चक्कर में ब्लड बैंक के कर्मियों द्वारा किया जा रहा यह अमानवीय व्यवहार बेहद निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि माना कि ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीकरण जरुरी है। लेकिन जरुरतमंदों की रक्त की आवश्यकता की पूर्ति भी उतनी ही जरुरी है। क्योकि ब्लड बैंक का संचालन खून का धंधा करने के लिए नही बल्कि जरुरतमंदों को ससमय खून उपलब्ध कराने के मानवीय आधार पर ही किया जाता है। इस मामले में पूछे जाने पर सिविल सर्जन डाॅ. कुमार वीरेंद्र प्रसाद ने पहले तो यह कहा कि ब्लड बैंक को दुल्हन की तरह सजाने की आपके द्वारा कही जा रही बात तो हमारे विभाग के अच्छे कार्य कार्य का एक तरह का प्रमाण है। ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीकरण जरुरी है। इसी वजह से यह सब किया जा रहा है। उन्होने इस कार्य के दौरान जरुरतमंदों की अनदेखी के सवाल पर कहा कि यह आरोप मात्र है। कहा कि जिस व्यक्ति ने ब्लड बैंक से खून नही मिलने की शिकायत की है, उसका मरीज औरंगाबाद में नही बल्कि झारखंड के पलामू जिले के हरिहरगंज में भर्ती है। सेवा क्षेत्र नही होने के कारण वे उस व्यक्ति को ब्लड नही दिलवा सके। ऐसा कहते वक्त सिविल सर्जन यह भूल गये मानवता की सेवा सीमाओं से परे होती है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट