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बीपीएससी पर पहले भी लग चुका है बड़ा दाग, मांझी ने सवाल उठानेवाले राजद को दिलाई राबड़ी काल की याद

बीपीएससी पर पहले भी लग चुका है बड़ा दाग, मांझी ने सवाल उठानेवाले राजद को दिलाई राबड़ी काल की याद

PATNA : BPSC पेपर लीक को लेकर बिहार सरकार पर विपक्ष हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, पप्पू यादव सहित कल तक बिहार में मंत्री रहे मुकेश सहनी भी सरकार की ओर उंगलियां उठा रहे हैं। वहीं अब लगातार हो रहे हमले के बाद एनडीए की तरफ से भी जवाबी हमला शुरू कर दिया गया है। जिसमें सबसे बड़ा हमला बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने किया है. उन्होंने मौजूदा सरकार पर सवाल उठानेवाले राजद पर हमला करते हुए कहा है कि जिनके शासनकाल में बीपीएससी सीएम हाउस की कठपुतली बन गई थी। रिजल्ट सेटिंग के कारण BPSC अध्यक्ष तक को जेल जाना पड़ा आज वही लोग सरकार के काम-काज पर सवाल उठा रहें हैं! 

जीतन राम मांझी का इशारा 2003 में हुए बीपीएससी नियुक्ति घोटाले की तरफ था। उस समय बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थी। तब बिहार के वर्तमान बीपीएससी चेयरमैन और अध्यक्ष पर न सिर्फ नियुक्ति के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था, बल्कि उन्हें जेल की सैर भी करनी पड़ी थी।  अपने ट्विट में मांझी ने लिखा कि जिनके शासनकाल में BPSC सीएम हाउस की कठपुतली बन गई थी,रिज़ल्ट सेटिंग के कारण BPSC अध्यक्ष तक को जेल जाना पड़ा आज वही लोग सरकार के काम-काज पर सवाल उठा रहें हैं! उन्होंने नीतीश सरकार का बचाव करते हुए लिखा कि  BPSC पेपर लीक मामले पर सरकार कारवाई कर रही है,युवाओं के भविष्य से खेलने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा,चाहे कोई हो।



क्या है 2003 का नियुक्ति घोटाला

वर्ष 2003 में BPSC द्वारा बिहार के प्रशासनिक सेवा में 183 पदों के लिए नियुक्ति परीक्षा आयोजित की गई , जिसमें 70-80 पीसदी सीटों को नीलाम कर दिया गया। जिसमें 2005 में बीपीएससी अध्यक्ष के अलावा उप सचिव सैयद मासोम अली, आयोग के सदस्य शिव बालक चौधरी, नियमित लिपिक कामता प्रसाद, लाइब्रेरियन संजीव कुमार, कंप्यूटर प्रोग्रामर भानु प्रकाश और विजय कुमार, अनुभाग अधिकारी रत्नेश प्रसाद, सहायक तेजनारायण सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद यहां के विजिलेंस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई और मामले में पूर्व अध्यक्ष रजिया तबस्सुम सहित बीपीएससी के 13 अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय किए गए।

हालांकि, बीपीएससी अधिकारियों से बहुत कम सहयोग प्राप्त हुआ, जिन्होंने पहले सतर्कता जांच के लिए परिणाम के दस्तावेज सौंपने से इनकार कर दिया। इसके बाद, सतर्कता अधिकारियों ने पटना उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने बीपीएससी अधिकारियों को जांच दल के साथ सहयोग करने और उत्तर पुस्तिकाओं, सारणीकरण पत्रों सहित सभी आवश्यक दस्तावेजों को सतर्कता विभाग को सौंपने का निर्देश दिया


1996 में भी हुई थी गड़बड़ी

उससे पहले 1996 में पहली बार बीपीएससी के अध्यक्ष के तौर पर लक्ष्मी राय जेल गए थे, उस समय भी बिहार में लालू प्रसाद की सरकार थी। उन्होंने तत्कालीन विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री वृजबिहारी प्रसाद के साथ मिलकर बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए आयोजित संयुक्त परीक्षा में बड़ा घोटाला किया थ। लक्ष्मी राय उस समय मुजफ्फरपुर आरटीआई के प्राचार्य थे। 


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