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BPSC ने 22 दिसंबर को होने वाली हेडमास्टरों की परीक्षा स्थगित की, ये रहा कारण

BPSC ने 22 दिसंबर को होने वाली हेडमास्टरों की परीक्षा स्थगित की, ये रहा कारण

पटना. 22 दिसंबर को प्रधानाध्यापकों की होनी वाली परीक्षा रद्द हो गयी है। पटना हाईकोर्ट के हेडमास्टरों की नियुक्ति और सेवा नियमावली में फैसले के बाद बिहार लोक सेवा आयोग ने यह परीक्षा स्थगित कर दी है। आयोग ने कहा है कि अपरिहार्य कारणों से परीक्षा स्थगित की जाती है। 40 हजार 506 पदों के लिए यह परीक्षा हो रही है।

दरअसल, गुरुवार को हाईकोर्ट ने एक फैसले में राज्य के प्रारंभिक राजकीयकृत स्कूलों के हेड मास्टरों की नियुक्ति एवं अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने वाली नई नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना। साथ ही जस्टिस पीवी वैजंत्री की खंडपीठ ने अब्दुल बाकी अंसारी की रिट याचिका को निष्पादित कर दिया।

वहीं हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गयी बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर उसकी (नियुक्ति, स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्रवाई व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को प्रारूप के तौर पर कमी प्रकाशित करें। साथ ही उस पर अगले दो महीने में सार्वजनिक टिप्पणी और सलाह आमन्त्रित कर उस पर पूरे विचार विमर्श कर उस कानून या अंतिम नियमावली तैयार कर अधिसूचित करें।

याचिकाकर्तागण उर्दू टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और 2021 में जारी की गई इस नियमावली में अनुभव की न्यूनतम 8 वर्ष की अवधि को मनमाना पूर्ण कहते हुए इस हेड मास्टर नियुक्ति नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गई उक्त नियमावली को कानून का दर्जा देने से पहले क्या इसके प्रारूप को प्रकाशित कर सार्वजनिक सलाह आमंत्रित किया गया था या नहीं?

राज्य  सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया नही पूरी की गयी थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी नियमावली एक बड़े और व्यापक पैमाने के शिक्षक और उनके वर्ग को  प्रभावित करेगी। इस तरह के नियम को जारी करने से पहले या उसे कानूनी जामा पहनाने से पहले सरकार को खुलेआम लोगों के बीच में उनसे सलाह मशविरा करना चाहिए था। इसीलिए हाई कोर्ट ने 18 अगस्त 2021 को जारी इस नियमावली को बेअसर करार देते हुए इसे ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया है। कानून बनने से पहले कानून का मसविदा जो तैयार होता है। वहीं दर्जा अब इस नियमावली को तत्काल 2 महीने तक रहेगा। इस दौरान राज्य के 10 हज़ार से भी अधिक प्रारंभिक स्कूलों जो राजकीयकृत होने के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर चल रहे हैं, वहां के हेड मास्टर नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा।

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