N4N DESK: देश की राष्ट्रीय एयरलाइंस एयर इंडिया भी निजीकरण की जद में आ गई है। यह तो सर्वविदित है कि बीते कुछ सालों से एयर इंडिया की हालत खस्ताहाल थी और लगातार इसकी माली हालत सुधारने के लिए इसे निजीकरण के दायरे में लाने की बात चल रही थी। इसी बीच अच्छी खबर यह है कि एयर इंडिया की घर वापसी हुई है। यानी कि, 68 साल बाद एयर इंडिया की कमान टाटा संस के हाथों में आ गई है।
बता दें कि एयर इंडिया की बोली टाटा संस ने जीत ली है। सरकार ने टाटा संस की बोली को मंजूर कर ली है। टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से ज्यादा की बोली लगाई थी। इस तरह करीब 68 साल बाद एअर इंडिया घर वापसी करेगी। इस बिडिंग में दो कंपनियां- टाटा समूह और स्पाइसजेट शामिल थी, और एयर इंडिया के टाटा के ही खाते में जाने की संभावना ज्यादा थी, जो कि अब आधिकारिक तौर पर हो ही गई है। इससे पहले 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी लेकिन उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी शुरूआत
एयर इंडिया की शुरुआत 1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी। टाटा समूह के जेआरडी टाटा ने इसकी शुरुआत की थी, वे खुद भी एक बेहद कुशल पायलट थे। रतन टाटा भी एक बेहतरीन पायलट हैं और उनकी फ्लाइंग स्किल्स की चर्चा तो देश-विदेश में है। उनकी फायटर जेट के साथ तस्वीर तो हर किसी ने देखी ही है। उम्र के इस पड़ाव में भी उनकी स्किल्स कमाल की है।
वर्ष 1947 में देश की आज़ादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई और भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49% हिस्सेदारी अधिग्रहण कर ली। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा समूह से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली. इस तरह एयर इंडिया पूरी तरह से एक सरकारी कंपनी बन गई।