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BREAKING : आनंद मोहन की रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को अहम निर्देश, नीतीश सरकार को देना होगा जवाब

BREAKING : आनंद मोहन की रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को अहम निर्देश, नीतीश सरकार को देना होगा जवाब

पटना/दिल्ली.  पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई की और बिहार सरकार को जवाब देने के लिए 8 अगस्त तक का समय दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी. आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ यह याचिका गोपालगंज के डीएम रहे जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने दायर की थी. उन्होंने नीतीश सरकार द्वारा जारी आनंद मोहन की रिहाई के फैसले को रद्द करके उन्हें फिर से जेल भेजने की मांग की है. जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को सजा हुई थी. नीतीश सरकार ने हाल ही में जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिसके बाद आनंद मोहन जेल से बाहर आए थे.

जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका पर आठ मई को पहली सुनवाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार और अन्य को नोटिस भेजकर इस मामले पर जवाब मांगा था. अब आज शुक्रवार को इस मामले पर आगे की सुनवाई हुई. कोर्ट ने बिहार सरकार कहा है कि वह इस मामले में जवाब दाखिल करे. साथ ही मामले से जड़े ओरिजिनल दस्तावेज भी जमा करे. आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष लड़ने के लिए एपी सिंह को वकील नियुक्त किया है. वह शीर्ष अदालत में यूट्यूबर मनीष कश्यप का केस भी लड़ रहे हैं.

पिछले महीने बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव करते हुए उस नियम को हटा दिया था, जिसमें सरकारी अफसर की हत्या के दोषियों के लिए बना था. इससे सरकारी अफसर या आम व्यक्ति दोनों की हत्या के दोषियों को एक समान माना जाने लगा. इसी आधार पर राज्य सरकार की ओर से आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी हुआ. 27 अप्रैल को पूर्व सांसद सहरसा जेल से रिहा हुए. वे डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में 14 साल से ज्यादा की सजा काट चुके हैं. 

अधिकारी जी. कृष्णैया 1994 में जब गोपालगंज के डीएम थे, तब उनकी मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने पीट- पीटकर हत्या कर दी थी. आनंद मोहन और उनके समर्थकों पर हत्या का आरोप लगा था. इस केस में अदालत ने आनंद को फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि, 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनकी सजा को फांसी से उम्रकैद में बदल दिया था.

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