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बिहार में होगा मंत्रिमंडल विस्तार ! सीएम नीतीश और जेपी नड्डा में हुई खास बात, एक साथ कई जातियों को साधने की कोशिश में एनडीए

बिहार में होगा मंत्रिमंडल विस्तार ! सीएम नीतीश और जेपी नड्डा में हुई खास बात, एक साथ कई जातियों को साधने की कोशिश में एनडीए

पटना. केन्द्रीय स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा दो दिवसीय बिहार दौरे पर हैं. केंद्र मे स्वास्थय मंत्रालय के जिम्मा संभालने के बाद उनका यह पहला बिहार दौरा है। अपने इस दो दिवसीय दौरे के दौरान जेपी नड्डा ने बिहार को कई अस्पतालों  की सौगात दी है। इस दौरान शनिवार को अहले सुबह उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बंद कमरे में बैठक की । इस दौरान बिहार बीजेपी के कई बड़े नेता मौजूद थे । सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश और नड्डा के बीच हुई इस मुलाकात में राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर भी चर्चा हुई. एक दिन पहले यानी शुक्रवार को नीतीश कुमार ने भाजपा के प्रति अपनी अटूट निष्ठा जताते हुए कहा था कि अब हम कभी उधर नहीं जाएंगे।


अब सीएम नीतीश और नड्डा की मुलाकात के बाद बिहार के राजनीतिक गलयारे में कयासों का दौर जारी है। इसी कड़ी में प्रदेश की राजनीतिक हलकों में इस बात की फुसफुसाहत तेज हो गई है कि बिहार में जल्द ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं. बिहार में नीतीश कैबिनेट में फ़िलहाल सिर्फ 30 मंत्री हैं. हालाँकि वे अपने मंत्रिमंडल में कुल 36 मंत्री रख सकते हैं. ऐसे में छह रिक्त मंत्री पदों को भरने पर भाजपा और जदयू की निगाह है. 


मंत्रिमंडल फेरबदल होता है तो इसमें सामाजिक और जातीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश होगी. इसका एक कारण विपक्षी राजद का इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन भी कारण माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव के समय से ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ए टू जेड का नारा दिया।  तेजस्वी के इस नारे का असर लोकसभा चुनाव में उनके वोटों के प्रतिशत पर देखने को मिला. मुस्लिम यादव के साथ ही कुशवाहा वोटरों पर तेजस्वी की नजर है. ऐसे में अब तेजस्वी को मात देने के लिए इस बार के मंत्रिमंडल फेरबदल में इसका असर देखा जा सकता है. वहीं  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए कई ऐसी जातियों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है जिसका सीधा असर वोटों की राजनीति पर पड़ेगा. खासकर उन जातियों को जिनकी राजनीतिक हिस्सेदारी के हिसाब से कैबिनेट में स्थिति नगन्य है उन्हें विशेष जगह मिलने की संभावना है. 

  

नीतीश के मंत्रिमंडल की बात करें तो वर्तमान में 


सम्राट चौधरी, (कोइरी)  पिछड़ा

विजय कुमार सिन्हा, (भूमिहार) सवर्ण

प्रेम कुमार, (कहार) ईबीसी

विजय कुमार चौधरी, (भूमिहार), सवर्ण

विजेंद्र यादव, (यादव), पिछड़ा

श्रवण कुमार,( कुर्मी), पिछड़ा

संतोष कुमार सुमन, (मुसहर) महादलित

सुमित कुमार सिंह, (राजपुत), सवर्ण

 

रेणु देवी (नोनिया) अति पिछड़ा

मंगल पांडेय (ब्राह्मण) सवर्ण

नीतीश मिश्रा (ब्राह्मण) सवर्ण

नीरज कुमार सिंह (राजपूत) सवर्ण

नितीन नवीन (कायस्थ) सवर्ण

दिलीप जायसवाल (वैश्य) पिछड़ा

संतोष सिंह (राजपूत) सवर्ण

जनक राम (चमार) दलित

केदार प्रसाद गुप्ता (वैश्य) पिछड़ा

हरी सहनी (मल्लाह) अति पिछड़ा

कृष्णनंदन पासवान (पासवान) दलित

सुरेन्द्र मेहता (कुशवाहा) पिछड़ा

अशोक चौधरी (पासी) दलित

लेसी सिंह (राजपूत) सवर्ण

महेश्वर हजारी (पासवान) दलित

जयंत राज (कुशवाहा) पिछड़ा

सुनील कुमार (चमार) दलित

जमा खान (पठान) सवर्ण मुस्लिम

शीला मंडल (धानुक) अति पिछड़ा 

रत्नेश सदा (मुसहर) दलित

मदन सहनी (मल्लाह) अति पिछड़ा


नीतीश कुमार के मौजूदा मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण को साधने की जेडीयू और भाजपा ने पूरी कोशिश की है । लेकिन सवर्णों में भूमिहार जाति की उपेक्षा साफ झलकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नारी वंदन की बात करते हैं। मोदी सरकार ने ही लोकसभा चुनाव से पहले  ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल पास कराया था । यानी महिलाओं के लिए संसदीय राजनीति में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। लेकिन बिहार मंत्रिमंडल की वास्तविक स्थिति यह है कि पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी के अलावा किसी महिला को भाजपा ने मौका नहीं दिया है। यही नहीं भूमिहार जाति से भी किसी को भाजपा ने मंत्री नहीं बनाया। विजय सिन्हा तो पहले ही डिप्टी सीएम बन गए थे, लेकिन मार्च में जो विस्तार हुआ उसमें  भूमिहार समाज के किसी विधायक या विधानपार्षद  को जगह नहीं मिली। हालांकि सवर्णों में मंगल पांडेय ब्राह्मण जाति से मंत्री बन गए हैं। राजपूत बिरादरी के भी चार लोगों को मंत्री पद मिला है। नीतीश ने जिन नौ मंत्रियों के साथ सीएम पद की शपथ ली थी, उनमें भूमिहार जाति के दो, कुर्मी जाति के दो, राजपूत जाति से एक, यादव जाति से एक और पिछड़ा, अति पिछड़ा और महादलित जाति से एक-एक को मंत्री बनाया गया था। महिलाओं और भूमिहार बिरादरी के लोग इससे जरूर अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे होंगे।


बिहार में हुए जातीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिम आबादी 17.7 प्रतिशत है तो यादव जाति की आबादी 14.3 प्रतिशत है। हालांकि इस 32 प्रतिशत आबादी से एक भी मंत्री भाजपा कोटे से नहीं है. यानी कहा जाए तो शायद भाजपा यह मान चुकी है कि इन दोनों जातियों वोट उसे नहीं मिलेंगे। । नीतीश के 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सिर्फ एक यादव को मंत्री बनाया गया है, वह भी जदयू से हैं। वर्ष 2020 में एनडीए का मंत्रिमंडल बना था, उनमें शाहनवाज हुसैन को भाजपा ने जगह दी थी। इस बार कैबिनेट में भाजपा की ओर से मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व शून्य है। अलबत्ता भाजपा ने विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर यादव बिरादरी से हैं। स्पीकर नंद किशोर यादव हैं तो डिप्टी स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव हैं. हालांकि मंत्रिमंडल में भाजपा ने किसी यादव को शामिल नहीं किया था ।

ऋतिक की रिपोर्ट

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