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HIGH COURT में नीतीश कुमार के फैसले को चुनौती : चीफ जस्टिस ने पूछा - क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है, क्या है नियम

HIGH COURT में नीतीश कुमार के फैसले को चुनौती :  चीफ जस्टिस ने पूछा -  क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है, क्या है नियम

PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह से कुछ घंटे में पाला बदलते  हुए एनडीए की सरकार से इस्तीफा देते हुए महागठबंधन की पार्टियों संग सरकार बनाई, उस पर कई तरह की बातें हुई हैं। अब मुख्यमंत्री के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में भी चुनौती देते हुए इस न सिर्फ सांवैधानिक रूप से गलत बताया गया है, बल्कि इसे जनादेश भी अपमान करार दिया है। हाईकोर्ट में सीएम के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर आज पहली सुनवाई हुई है। जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजय कोरोल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 7 सितंबर की तारीख तय की है। 

मुख्यमंत्री के खिलाफ यह जनहित याचिका धर्मशीला देवी ने दायर की है। उनकी तरफ से कोर्ट में पीटिशन दायर करनेवाले अधिवक्ता वरुण सिन्हा से जस्टिस संजय कोरोल ने पूछा कि क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है या नहीं। जिस पर अपने जवाब में बताया कि संविधान के प्रावधानों के 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने बहुमत वाले गठबंधन को छोड़ कर अल्पसंख्यक वाले गठबंधन के साथ सरकार बना ली।

इससे पहले भी 2017 में भी नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने बाद राजद छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना का मुख्यमंत्री बने।जिस गठबंधन के आधार मत ले कर सरकार बनाते है,बाद में उसी जनादेश  नजरअंदाज और अपमान कर दूसरे गठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली हैं।

मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल मौजूद रहे। जस्टिस संजय कोरोल मे मामले में आगे की सुनवाई के लिए सात सितंबर की तारीख तय की है। 


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