'चंद्रशेखर' और 'पाठक' साथ-साथ पर काम अलग-अलग.... मंत्री जी बातों में लीन थे तो ACS काम में, दिखी वो तस्वीर....

'चंद्रशेखर' और 'पाठक' साथ-साथ पर काम अलग-अलग.... मंत्री जी बातों में लीन थे तो ACS काम में, दिखी वो तस्वीर....

PATNA: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभागीय अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच खूब विवाद हुआ. मंत्री ने अपने आप्त सचिव के माध्यम से केके पाठक को पीत पत्र दिया. इसके बाद तो स्थिति अनकंट्रोल हो गई. केके पाठक ने शिक्षा मंत्री पर गंभीर प्रहार किया. इतना ही नहीं चंद्रशेखर के आप्त सचिव को विभाग में आने पर पाबंदी लगा दी. बेबश शिक्षा मंत्री तीन हफ्ते तक सचिवालय स्थित दफ्तर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके. लंबे अंतराल के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक के साथ बैठने की तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर सीएम नीतीश के जनता दरबार से निकल कर सामने आई है. हालांकि दोनों जनता की सदस्या के निबटारे को लेकर बैठे ते पर दोनों अलग-अलग काम कर रहे थे. 

साथ-साथ पर काम अलग-अलग 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभागीय अपर मुख्य सचिव केके पाठक साथ-साथ बैठे थे. सामने फरियादियों के लिए कुर्सी लगी थी. सीएम नीतीश जनता दरबार में शिक्षा विभाग से जुड़ी समस्याओं को सुनकर विभागीय मंत्री-सचिव के पास भेज रहे थे. साथ बैठे चंद्रशेखर और केके पाठक की तरफ जनता दरबार का कैमरा घुमा. काफी देर तक कैमरा शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव की तरफ फोकस रहा. इस दौरान की तस्वीर सामने आई है. मंत्री जी जहां गप्पे हांकने में व्यस्त थे, जबकि विभागीय अपर मुख्य सचिव केके पाठक लगातार शिकायत का निबटारा कर रहे थे. फरियादियों को सामने बिठाकर फोन से अधिकारियों को आवश्यक निर्देश  देते देखे गए. इधर, मंत्री चंद्रशेखर बगल में बैठे किसी महानुभाव से काफी देर तक बातें करते देखे गए. इस दौरान मंत्री चंद्रशेखर एक बार भी केके पाठक की तरफ मुंह नहीं फेरा, केके पाठक भी मंत्री की तरफ नहीं देख रहे थे.  


आवाज मिलेगी तब न खोलेंगे पोल..आवाज ही कर दिया बंद 

सितंबर महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज दूसरी दफे जनता दरबार में हाजिर हुए. आज समाज कल्याण, शिक्षा समेत अन्य विभागों की समस्या को लेकर फरियादी सीएम नीतीश कुमार के पास पहुंचे थे. मुख्यमंत्री समस्या सुनकर अधिकारियों को फोन कर आवश्यक निर्देश देते रहे. लेकिन सिस्टम की लापरवाही ऐसी कि बिना आवाज के ही मुख्यमंत्री का दरबार लाईव किया गया. कभी-कभी आवाज सुनाई पड़ रहा था, फिर म्यूट कर दिया जा रहा था. मुख्यमंत्री जब फोन से अधिकारियों को निदेश देते, उस वक्त तो आवाज को पूरी तरह से बंद कर दिया जा रहा था. अब यह सरकार के निदेश के बाद हो या निचले स्तर की लापरवाही है, यह तो मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी ही बता सकते हैं. लेकिन इसे देखकर ऐसा लग रहा था कि अब जनता दरबार सिर्फ दिखावे का रह गया है. दरबार और अधिकारियों की बार-बार पोल खुल रही थी,लिहाजा लाईव ऑडियो ही बंद कर दिया गया. 

विपक्षी दल बार-बार जनता दरबार पर उठा रहे सवाल

विपक्षी दल के नेता यह बार-बार कहते हैं कि जनता दरबार से लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा. सिर्फ दिखावे के लिए मुख्यमंत्री जनता दरबार आयोजित करते हैं.दरबार और अधिकारियों की बार-बार पोल खुल रही थी,लिहाजा लाईव ऑडियो ही बंद कर दिया गया.

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