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बदलती लहरः लोकतंत्र और म्यांमार में गृह युद्ध, भारत ने जताई चिंता

बदलती लहरः लोकतंत्र और म्यांमार में गृह युद्ध, भारत ने जताई चिंता

DELHI- भारत सरकार ने एक बयान जारी कर भारतीय सीमा के करीब म्यांमार की सेना और जुंटा विरोधी ताकतों के बीच झड़पों को लेकर गहराई से चिंता जाहिर की है। भारत सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया,”हम अपनी सीमा के नजदीक ऐसी घटनाओं से बेहद चिंतित हैं। म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा हम हिंसा को खत्म करना चाहते हैं और बातचीत से मसला हल हो यह हमारी सोच है।”

म्यांमार में गृह युद्ध में घटित हालिया घटनाओं के आधार पर बात करें तो वहां लोकतंत्र की वापसी की उम्मीद फिर से जिंदा होती लग रही है। फरवरी 2021 के तख्तापलट में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेतृत्व वाली सरकार को अपदस्थ करने के बाद, टाटामाडॉ (जबरन सत्तारूढ़ सैन्य समूह या हुंटा) ने अभी तक इतनी बड़ी चुनौती का सामना कभी नहीं किया है। मौजूदा हिंसा और सत्तारूढ़ हुंटा को लगे झटके बताते हैं कि युद्ध एक नये दौर में पहुंच गया है। अक्टूबर के आखिर में ‘थ्री ब्रदरहुड अलायंस’ (टीबीए) द्वारा समन्वित हमले शुरू किये जाने के बाद से, हुंटा ने अपने दर्जनों ठिकाने गंवा दिये हैं और उसकी हालत पतली हो रही है, क्योंकि उसके सैन्य बलों को विरोधी मिलिशिया (नागरिक सेना) से लड़ना पड़ा रहा है, खासकर देश के देहाती इलाकों में। वर्ष 2010 में नियंत्रित लोकतंत्रीकरण के बाद म्यांमार की राजनीति में आए बदलावों को पलटने के प्रयास के तहत, हुंटा ने एनएलडी के नेताओं को हिरासत में ले लिया। इसके अलावा, तख्तापलट के बाद विरोध प्रदर्शनों को दमन के जरिये दबाने की कोशिश की। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ है कि एनएलडी और उसके सहयोगियों (जिन्होंने नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट या एनयूजी का गठन किया है) ने विद्रोही मिलिशिया बना लिये हैं, जिन्हें पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज कहा जाता है। ये फोर्सेज कारेन, कचिन, चिन और करेन्नी जातीय समूहों के साथ मिलकर हुंटा से लोहा ले रहे हैं। ठीक इसी दौरान, उनके राजनीतिक प्रतिनिधि म्यांमार का संघीय व लोकतांत्रिक चार्टर तैयार करने के लिए एक मंच के जरिए आपस में संवाद कर रहे हैं।

इस पूरे मामले में भारत की चिंता इसलिए भी बढ़ी है कि पूर्वोत्तर राज्यों शरणार्थियों के आने की सुगबुगाहट सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिकइस लड़ाई में 50,000 से अधिक नागरिक विस्थापित हुए हैं। रॉयटर्स के मुताबिक इससे पहले आज म्यांमार के सैन्य शासकों ने सभी सरकारी कर्मचारियों और सैन्य अनुभव वाले लोगों को आपात स्थिति में सेवा के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि म्यांमार के नागरिकों का भारतीय पक्ष में आना-जाना हुआ है इसलिए चिंता बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी के लिए भारत के हमने अपना मत सामने रखा है।


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