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छपास रोगी नेताजी ! दो माह पहले तक फूल वाले प्रदेश अध्यक्ष को देते थे मात, अब सत्ताधारी जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष को छोड़ रहे पीछे...प्राईमरी मेंबर के आगे नहीं टिक रहे बड़े नेता

छपास रोगी नेताजी ! दो माह पहले तक फूल वाले प्रदेश अध्यक्ष को देते थे मात, अब सत्ताधारी जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष को छोड़ रहे पीछे...प्राईमरी मेंबर के आगे नहीं टिक रहे बड़े नेता

PATNA: कुछ नेताओं को छपने की बीमारी होती है. इसे छपास रोग कहा जाता है. इस रोग से ग्रसित नेता सिर्फ छपने में ही विश्वास रखते हैं. अखबारों में सुबह-सुबह अपनी खबर व तस्वीर दिख गई, दिन भर तरो-ताजा रहते हैं. अगर नहीं छपी तो हाजमा खराब हो जाता है. बिहार में सत्ता पक्ष व विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं जो इस रोग से ग्रसित हैं. आज हम सत्ताधारी जमात के एक नेता के छपास रोग की चर्चा करेंगे. यह नेता हाल ही पाला बदलकर सत्ता पक्ष की तरफ कूद कर पहुंचे हैं. दल में शामिल होने के बाद भी कोई पद-कुर्सी नहीं मिली है. उम्र के अंतिम पायदान वाले नेताजी पद पाने की चाहत में दिन-रात लगे हैं. आखिर पद पाना है तो नेता को तो खुश करना होगा. नेता खुश कैसे होंगे..इसके लिए फूल वाला घर यानि विरोधी दल पर हमला बोलना होगा और अपने नए नेता का जमकर गुणगान करना होगा. यही काम छपास रोग वाले नेता जी कर रहे हैं. इस चक्कर में नेताजी कुछ ज्य़ादा ही छपवा ले रहे. दो माह पहले जिस घर को छोड़े या हटाए गए वहां भी छपास रोगी नेता जी यही काम करते थे. फूल वाले दल में छपने में अपने प्रदेश अध्यक्ष को भी मात दे देते थे. नए घऱ में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही पीछे छोड़ दे रहे. यह सब सेटिंग का कमाल है. 

छपने में पहले प्रदेश अध्यक्ष को अब राष्ट्रीय अध्यक्ष को पीछे छोड़ रहे नेताजी

सत्ताधारी जमात के नए नवेले नेताजी की फिर से जबरदस्त चर्चा है. नेताजी हाल ही में फूल वाले घर से निकले हैं और तीर चलाना शुरू किया है. जिस फूल वाले घऱ में रह चुके हैं वहां भी इनके छपास रोग की खूब चर्चा होती थी. फूल वाले घर में सेटिंग की बदौलत छपने वाले विंग के भी प्रमुख बन गए थे. फिर तो छपने का सिलसिला इतना तेज हो गया कि दल के प्रदेश अध्यक्ष ही काफी पीछे छूट गए थे। कुछ समय तक यह सब चला. नेताजी के छपास रोग से ग्रसित होने से फूल वाले दल के नेता काफी परेशान हो उठे. इसी बीच छपास रोगी नेताजी पार्टी लाईन पार कर गए. इसके बाद दल से बेदखल कर दिए गए। इसके बाद सात साल पुराने घर में पहुंच गए। कभी इसी पुराने घऱ में रहकर माननीय बने थे. अपनी पुरानी पार्टी में शामिल होने के बाद छपास नेता जी फूल वाले दल पर जबरदस्त तीर चलाने लगे हैं. हर दिन छपने का जुगाड़ रखते हैं. आज तो हद हो गया जब तीर चलाने में अपने बॉस को ही सेट कर दिया. 

संयोग है या प्रयोग ? 

गुरूवार को छपने के चक्कर में छपास रोगी नेताजी ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही काफी पीछे छोड़ दिया है. इतना पीछे की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. हाल ही में दल में शामिल हुए नेताजी जो सिर्फ प्राईमरी मेंबर हैं वो अखबार में दो कॉलम में मोटा हेडलाइन के साथ छपकर चमक रहे। वहीं इनके ठीक बगल में दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सिंगल कॉलम में जगह मिली है. यह देखकर दल के लोग भी अचरज में हैं. अब यह संयोग है या प्रयोग यह तो छपने-छापने वाले ही जानें. लेकिन चर्चा खूब है. फूल-तीर वाले लोग कह रहे कि पहले छपास रोगी नेता जी प्रदेश अध्यक्ष को पीछे छोड़ते थे दूसरे दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को. 

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