बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

गया में श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद से बच्चों को मिल रही नई जिंदगी, कल 2 बच्चों को भेजा जाएगा कानपुर

गया में श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद से बच्चों को मिल रही नई जिंदगी, कल 2 बच्चों को भेजा जाएगा कानपुर

GAYA : ज़िला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एस०एम० की विशेष पहल से ज़िले में श्रवण श्रुति कार्यकम प्रारंभ किया गया, जिससे अनेको बच्चे जो 5 वर्ष के कम है, उन्हें इयररिंग लॉक की समस्या को जांच करते हुए निःशुल्क उन्हें समुचित इलाज करवाया जा रहा है। श्रवण श्रुति के तहत आज पुनः 02 बच्चों, जिनमे हियरिंग लॉस के समस्या पाई गयी, उन्हें कानपुर भेजा जा रहा है। बेला प्रखंड के पंचमहला गांव के मोहम्मद आसिफ नदीम के 2 वर्षीय पुत्र सैयद रहमान तथा बोधगया प्रखंड के अग्नि गांव के अजय कुमार के 3 वर्षीय पुत्री अनुराधा कुमारी जिन्हें 17 अगस्त 2022 को स्क्रीनिंग किया गया था, स्क्रीनिंग के दौरान यह दोनों बच्चे बेरा पॉजिटिव पाए गए, जिसके पश्चात इन्हें प्राथमिक जांच के लिए कानपुर भेजा गया था। 

अब इन दोनों बच्चे को कल सुबह जिला प्रशासन के सहयोग एवं देखरेख के साथ इन्हें कॉकलियर इंप्लांट लगाने हेतु कानपुर भेजा जा रहा है। इन बच्चों के साथ उनके माता-पिता एवं एस० एन० मल्होत्रा e.n.t. फाउंडेशन कानपुर के असिस्टेंट मैनेजर आशुतोष सरकार को साथ में रखा गया है। जिला पदाधिकारी ने असिस्टेंट मैनेजर आशुतोष सरकार को निर्देश दिया कि संबंधित दोनों बच्चे को अच्छी तरह से देखभाल करते हुए ऑपरेशन का कार्य करावे। सभी बच्चों को रहने एवं खाने की पूरी व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा करवा दी गई है।

डीपीएम स्वास्थ्य ने बताया कि जिला में ऐसे कई बच्चे हैं जिन्हें श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद मिल रही है. श्रवणश्रुति कार्यक्रम के तहत गांव—गांव में कैंप लगाकर बच्चों के सुनने की क्षमता की जांच होती है. बधिर बच्चों को इलाज के पटना और कानपुर भेजा जाता है. सभी प्रकार के जांच व इलाज के होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. कल फिर 02 बच्चे को कॉकलियर इंप्लांट लगाने हेतु भेजा जा रहा है। 

 जिला पदाधिकारी गया डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने कहा कि श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत जिन बच्चों को सुनने की क्षमता कम है, वैसे बच्चों को जांच करा कर के इलाज हेतु भेजा जा रहा है। वैसे बच्चे जो बचपन में ही कम सुनते हैं या 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे को पहले चिन्हित करके उन्हें समुचित इलाज करवाया जा रहा है। कानपुर के संस्थान के साथ एग्रीमेंट किया गया है और उसी के तहत आज और दो बच्चों को भेजने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताया की पहले 5 साल की उम्र में बच्चे के स्क्रीनिंग के दौरान बहरेपन कि जो समस्या मिल रही है, वह इलाज के बाद जरूर ही दूर हो जाएगा। वैसे हर बच्चों की जिंदगी में पूरी तरह परिवर्तन आएगा। पूरे उम्मीद के साथ उन्होंने और दो बच्चों को रवाना करते हुए शुभकामनाएं दिया।

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

Suggested News