Patna: लालू प्रसाद यादव चुनावी बिसात के सबसे माहिर खिलाड़ी हैं. वह चाल चलना भी जानते हैं और सामने वाले को घेरकर रखना भी. हर बार उनकी कोशिश केवल यही रही है कि सामने वाले को मात दी जाए लेकिन 28 साल बाद छोटे दलों को लेकर पहली बार लालू यादव की उदारता देखने को मिली है.
तमाम उठापटक के बाद आखिरकार महागठबंधन का महामंथन खत्म हो गया और राजद सांसद मनोज झा ने सीट शेयरिंग को लेकर एलान कर दिया है. एक तरफ NDA का फार्मूला 17-17-6 है वहीं महागठबंधन का फार्मूला 20-9-5-3-3 है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि लालू यादव ने अपने 5 सहयोगियों के 20 सीट छोड़ दी.
लालू ने दिया सहयोगियों को उनकी क्षमता के अनुसार सीट
दरअसल इस बार का चुनाव लालू यादव के लिए भी काफी अहम है. इस कारण लालू यादव ने अपने सहयोगियों को उनकी क्षमता के अनुसार सीट दी है. इस बार के सीटों के समझौते से लगता है लालू यादव को इस बात का अंदाजा हो गया है कि उनका परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक उन्हें चार से अधिक सीटें जिता पाने में कामयाब नहीं होगा.
लालू यादव ने लिया है जोखिम भरा फैसला
पिछले चुनाव की तुलना में लालू यादव ने काफी जोखिम उठाया है. उनकी रणनीति कितनी कारगर होती है बाद में पता चलेगा लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 5 और जीतन राम मांझी और मुकेश मल्लाह की पार्टी को तीन-तीन सीटें दी है हालाकि उनके इस फैसले से शायद ही कांग्रेस नेतृत्व खुश होगा. लेकिन लालू यादव बखूबी समझ रहे हैं नीतीश और मोदी से जीतने के लिए ये सीट शेयरिंग का फार्मूला उनके लिए तुरूप का इक्का साबित होगा.