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CM नीतीश की शराबबंदी के बाद भी हत्या-बलात्कार के केस में कमी नहीं बल्कि हुई भारी वृद्धि,RTI से 'सुशासन' की सच्चाई की खुली पोल...

CM नीतीश की शराबबंदी के बाद भी हत्या-बलात्कार के केस में कमी नहीं बल्कि हुई भारी वृद्धि,RTI से 'सुशासन' की सच्चाई की खुली पोल...

पटना : बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है।इस कानून के लागू होने के बाद दावे किए जाते हैं कि बिहार के लोगों को सिर्फ फायदा ही फायदा हुआ है।सुशासन वाली सरकार की तरफ से दावे किये जाते रहे हैं कि इसका सीधा प्रभाव बिहार की कानून व्यवस्था पर पड़ा है। जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुआ उसके बाद से बिहार में अपराध के आंकड़ों में भारी कमी दर्ज की गई है। खुद CM नीतीश हर जगह चाहे अपना राज्य हो या फिर दूसरे राज्य, यह कहते नहीं थकते कि हमने शराब बंद कर बड़ा सामाजिक काम किया है। शराब बंद होने से न सिर्फ लोगों के पैसे की बचत और स्वास्थ्य ठीक रह रहा बल्कि अपराध के ग्राफ में भी भारी कमी आयी है। मुख्यमंत्री शराब के बहाने बिहार में बढ़ते अपराध को ढंकने की कोशिश करते हैं।

CM नीतीश के दावे से उलट है जमीनी हकीकत 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी हर सभा मे शराबबंदी को लेकर चाहे जितना बखान कर लें लेकिन सच्चाई यही है कि न तो बिहार में शराब पर रोक लगी है और न क्राइम के ग्राफ में कमी आयी है।यह सच्चाई हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़ा ही चीख चीख कर गवाही दे रहा।

RTI से कथित सच्चाई का हुआ खुलासा

RTI से पूरे बिहार से यह रिपोर्ट मांगी गई कि क्या शराब बंदी के बाद बिहार में अपराध में कमी आयी है?RTI एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय ने यह जानकारी मांगी थी।सभी जिलों के SP ने तो अबतक रिपोर्ट नहीं दी लेकिन 4 जिलों से अपराध का रिपोर्ट मिला है।उससे नीतीश कुमार की उस कथित सच्चाई से पर्दा उठ जाता है कि बिहार में अपराध के आंकड़ों में कमी आयी है।

जहानाबाद,अरवल,अररिया और बक्सर जिला के SP ने RTI से मांगी गई जानकारी दे दी है।इन 4 जिलों की रिपोर्ट पर गौर करेंगे तो यह पानी की तरह साफ हो जाएगा कि बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध में कमी नही बल्कि बढ़ोतरी ही हुई है।इन 4 जिलों के अपराध के आंकड़ों से ही बाकी जिलों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है कि अपराध में कमी आयी है या बढ़ोतरी हुई है।

अब जरा 4 जिलों के अपराध के आंकड़ों पर गौर करें....

RTI से मिली जानकारी के अनुसार  बक्सर जिले में 2016 में हत्या के 49 मामले आये वहीं रेप के 17 केस।2017 में हत्या का केस 45 और बलात्कार का14 केस दर्ज हुए।2018 की बात करें तो हत्या के 50 और बलात्कार के 28 मामले,2019 में मर्डर के 50 और मर्डर के 17 केस और 2020 के मार्च तक हत्या के 6 और रेप के 7 केस दर्ज हुए हैं। इस तरह से कुल जघन्य अपराधों की संख्या 2016 में 3194,2017 में 3992, 2018 में 4481, 2019 में 4581 और मार्च 2020 तक 1154 केस दर्ज हुए हैं।

जहानाबाद की बात करें तो 2016 में हत्या के 19 केस,बलात्कार के 16 मामले,2017 में हत्या के 42 और रेप के 17,2018 में हत्या के 47 और रेप के 18,2019 में हत्या के 47 और रेप के 20 केस हुए।

अरवल की बात करे तो 2016 में हत्या के 7 और रेप के 3,2017 में हत्या के 11 और रेप के 8, 2018 में हत्या के 9 और रेप के  4 मामले दर्ज हुए,2019 में मर्डर के 18 और रेप के  10 केस दर्ज किए गए।वही मार्च 2020 तक हत्या के 5 और रेप के 1 मामले हुए।

अररिया की बात करें तो 2016 में हत्या के 60 केस रेप के 49 मामले,2017 में हत्या के 47 और बलात्कार के 57 मामले,2018 में हत्या 62 और बलात्कार के 63 केस,2019 में हत्या के 63 और बलात्कार के 85 केस दर्ज किया गया। वहीं मार्च 2020 तक हत्या के हत्या के 13 और बलात्कार के 7 केस दर्ज हुए।

क्या कहते हैं RTI एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय

RTI एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय ने बताया कि अभी 4 जिलों की रिपोर्ट आ गयी है।इन जिलों के अपराध आंकड़ो पर गौर करें तो पूरी हकीकत सामने आ जायेगी।जो दावे किए जा रहे थे कि शराबबंदी के बाद अपराध के आंकड़ो में भारी कमी हुई है उसकी पोल खुल गयी है।शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध के आंकड़ो में कमी नहीं आयी है बल्कि बेतहाशा वृद्धि हुई है।खास कर हत्या और बलात्कार जैसे जघण्य अपराध में वृद्धि हुई है।इसलिए यह कहना कि शराब बंद कर देने से अपराध कम हो गए हैं एकदम गलत है।

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