पटना : पूरे देश में कोरोना वायरस ने लोगों को जद में लेना शुरू कर दिया है. कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए भारत को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया है. लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान शनिवार की शाम आनंद बिहार बस टर्मिनल पर जो नजारा दिखा, उसने कई सवाल खड़े कर दिए.
दिल्ली और यूपी से बिहार की और चली भीड़ से बिहार सरकार सकते में हैं. इस दौरान यह सवाल भी अहम है कि आखिर लॉकडाउन के होते हुए बसों का इंतजाम कर लोगों की भेजने की व्यवस्था से क्या लॉकडाउन सफल हो पाएगा? लोगों को बसो से बिहार भेजने को लेकर बिहार सरकार ने बड़ा बयान दिया है. नीतीश सरकार ने साफ तौर पर पूछा है कि पलायन के लिए एक अंतिम तारीख तय होनी चाहिए.
नीतीश सराकर का कहा है कि दिल्ली से यूपी के रास्ते बहुत सारी बसें निकल चुकी हैं और कुछ बिहार में आ भी चुकी हैं. अगर ऐसे में लॉकडाउन के दौरान भी पलायन होता रहा तो बिहार सरकार को हालात संभालने में मुश्किल आ सकती है. जानकारों की माने तो नीतीश सरकार इस बयान के जरिए यूपी सरकार द्वारा बसे उपलब्ध करवाकर लोगों को बिहार भेजने को लेकर पीएम मोदी से सवाल करना चाहती है और ये चाहती है कि केन्द्र सरकार ऐसे पलायन पर सख्त एक्शन ले.
आज गृह विभाग के अपर सचिव आमिर सुबहानी ने बैठक के बाद इस बात को साफ कर दिया है कि दूसरे राज्यों से बिहार की तरफ पलायन की आखिरी तारीख तय होनी चाहिए जिसके बाद बिहार में किसी की एंट्री पर रोक लगाई जा सके. अब देखना है कि बिहार सरकार की इस मांग पर केन्द्र सरकार क्या फैसला लेती है.