बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

मांझी-चिराग को निशाना बनाएगा CM नीतीश का तीर... भीम संसद से दलित वोट बैंक की ताकत दिखाएगी JDU, समझिये लोकसभा और विधानसभा जीतने का फॉर्मूला

मांझी-चिराग को निशाना बनाएगा CM नीतीश का तीर... भीम संसद से दलित वोट बैंक की ताकत दिखाएगी JDU, समझिये लोकसभा और विधानसभा जीतने का फॉर्मूला

पटना. जदयू की ओर से 26 नवंबर को पटना के वैटनरी ग्राउंड में भीम संसद का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेताओं में एक माने जाने वाले अशोक चौधरी पिछले कई सप्ताह से भीम संसद की तैयारियों को लेकर जुटे हुए हैं. अशोक चौधरी ने दावा किया है कि भीम संसद में एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटेगी. यह भीड़ मुख्य रूप से दलित लोगों की होगी. ऐसे में जदयू का यह दलित वोटों पर पकड़ की ताकत दिखाने का एक बड़ा आयोजन माना जा रहा है  जो सियासी तौर पर काफी अहम है. भीम संसद के बहाने नीतीश कुमार उन राजनीतिक दलों को बड़ा झटका देना चाहते हैं जो दलित राजनीति के लिए बिहार में जाने जाते हैं. इसमें नीतीश कुमार द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान प्रमुख हैं.

बिहार में दलित राजनीति : नीतीश सरकार की जाति सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में एससी 19.65 फीसदी और एसटी 1.68 फीसदी हैं. यानी बिहार में दलित वर्ग की आबादी 21 फीसदी से ज्यादा है. वहीं बिहार में लोकसभा की छह सीटें आरक्षित है यानी दलित वर्ग के लिए है. इसी तरह विधानसभा की 40 सीटें आरक्षित हैं. अगर देखा जाए तो जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और पशुपति पारस की राजनीति भी इसी दलित वोटों के आसपास टिकी हुई है. ऐसे में नीतीश कुमार एक साथ भीम संसद से एक ओर दलित वोटों को साधकर 6 लोकसभा सीटों और 40 विधानसभा सीटों पर नजर गड़ाए हैं. वहीं दूसरी ओर मांझी, चिराग और पशुपति पारस के कोर वोट बैंक में सेंधमारी भी करेंगे. 

दरअसल जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने कुछ महीने पहले ही नीतीश के नेतृत्व वाले महागठबंधन से अलग होकर एनडीए का दामन थामा था. वहीं चिराग पासवान ने पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश की पार्टी जदयू को बड़ा झटका दिया था. दोनों नेता संयोग से बिहार में दलित राजनीति के प्रमुख धुरी हैं. ऐसे में जदयू की कोशिश अब दोनों को बड़ा झटका देने की है. इसके लिए जदयू ने 26 नवंबर 2023 में पटना में एक बड़ा आयोजन करने की योजना बनाइ है जिसमें पूरे राज्य से दलित पटना में जुटेंगे. जदयू का आरोप है कि दलित एवं पिछड़े वर्गों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखने का केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है. इसलिए दलितों के अधिकार और उन्हें हक दिलाने के लिए जदयू का यह आयोजन हो रहा है. माना जा रहा है कि इसी बहाने नीतीश की पार्टी दलितों को अपने पाले में लाकर जीतन राम मांझी और चिराग पासवान को झटका देगी.

जदयू अगर बिहार में पासवान और मुसहर समुदाय के परम्परागत वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल हो जाती है यह एनडीए को भी एक झटका होगा. एनडीए में भाजपा को जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के वोटों का बड़ा सहारा मिलता है.  अगर इनके वोट तोड़ने में नीतीश की पार्टी सफल हो जाती है तो यह NDA के लिए लोकसभा चुनाव 2024 में परेशानी का सबब हो सकता है.


Suggested News