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CM नीतीश को जातिगत गणना पर अकेले श्रेय लेने की कोशिश पड़ा महंगा, सुशील मोदी की डिमांड...सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाए और कानून बनाने की पहल करे

CM नीतीश को जातिगत गणना पर अकेले श्रेय लेने की कोशिश पड़ा महंगा, सुशील मोदी की डिमांड...सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाए और कानून बनाने की पहल करे

PATNA: पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर अंतरिम रोक लगा दी थी। जिसको लेकर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में 3 जुलाई को पटना हाईकोर्ट में फैसले होने के बाद आए। वहीं इस मामले को लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को जातिगत गणना पर अकेले श्रेय लेने की कोशिश महंगा पड़ा है।  

बता दें कि, सुशील मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना पर रोक हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार राज्य सरकार को ताजा झटका है। यदि हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई नहीं की, तो सुप्रीम कोर्ट 13 जुलाई को इस पर सुनवाई कर सकता है। इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलायी जानी चाहिए। जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी कर सरकार ने इसे पहले ही उलझा दिया, जिससे इस सर्वे पर अंतरिम रोक लगी। 

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय एनडीए सरकार ने पिछले साल जून में किया था। इस पर मकानों की गिनती के साथ काम शुरू करने में सात महीने की देर क्यों हुई? सरकार को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबको विश्वास में लेना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या प्रश्नावली बनी है, क्या तैयारी है। 

मोदी ने कहा कि जरूरत पड़े तो विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर जातीय जनगणना के लिए कानून बनाना चाहिए। जातीय जनगणना का अकेले श्रेय लेने की मंशा से मुख्यमंत्री ने विपक्ष से संवाद स्थापित नहीं किया और न सर्वदलीय बैठक बुलायी। 

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय भाजपा के सरकार में रहते हुआ था और इसके लिए विधानमंडल में दो बार प्रस्ताव पारित होने से लेकर प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित रहने तक, हर स्तर पर पार्टी समर्थन में खड़ी रही। नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में भी न्यायालय में सरकार की किरकिरी हुई थी और चुनाव टालने पड़े थे।

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