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सीएम तेरे बंगले में मेरा क्या काम है, 23 साल बाद श्याम रजक महुआबाग से गाएंगे राजद राग, पढ़ा रहे हैं नैतिकता का पाठ

सीएम तेरे बंगले में मेरा क्या काम है, 23 साल बाद श्याम रजक महुआबाग से गाएंगे राजद राग, पढ़ा रहे हैं नैतिकता का पाठ

Patna: सत्ता के सांझ में पूर्व मंत्री श्याम रजक की सियासत चरम पर है. 23 साल बाद बंगला छोड़ा और 11 साल बाद पार्टी. जिस जगह से सियासत की शुरुआत की थी लगता है कि अंत भी वहीं से करना चाहते हैं. हालांकि राजनीति में कुछ भी कहना अतिश्योक्ति ही होगी. कब कौन पाला बदल ले यह नारद मुनि को भी पता नहीं चलता. फिलहाल 23 साल बाद बंगला छोड़ते हुए श्याम रजक नैतिकता का पाठ पढ़ाने में जुटे हैं और अपने सवालों का जवाब मांग रहे हैं.

श्याम रजक भी राजनीति के मौसम वैज्ञानिक से कम नहीं..
बता दें कि श्याम रजक 2009 में जनता दल यू की सदस्यता ग्रहण की थी. लालू प्रसाद यादव की पार्टी से लालू प्रसाद यादव के साथ लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में सियासत की शुरुआत करने वाले श्याम रजक कहते रहे हैं कि हम चंद्रशेखर के चेले हैं लेकिन बिहार की राजनीति में लोग यही कहता है कि अगर लालू का आशीर्वाद नहीं होता तो श्याम रजक श्याम रजक नहीं होते. लालू के कैबिनेट मंत्री रह चुके श्याम रजक राजनीति के मौसम वैज्ञानिक भी हैं और वे नीतीश कुमार के भी कैबिनेट मंत्री बनने में सफल रहे. गौरतलब है कि 2009 में लालू प्रसाद यादव और उनके हनुमान कहे जाने वाले रामकृपाल यादव से जब खटपट शुरू हुई तो श्याम रजक ने मौका देखते ही सत्ता धारी दल जदयू में पलटी मार दी और नीतीश कुमार का गुणगान करने में लग गए। देखते देखते 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कैबिनेट के कद्दावर मंत्री भी बन गए और कभी इनके आइकॉन रहने वाले लालू यादव इनके लिए एक ऐसे राजनीतिक पात्र हो गए जो मानो देश मे भ्र्ष्टाचार के साबसे बड़े नायक हों. और फिर रजक जी ने पूरे 11 साल तक लालू प्रसाद और उनके परिवार का खूब ले - दे किया. नीतीश कुमार के दूरी बार वाली सत्ता के सुबह सुबह पधारकर एकदम से अनुशासित जिम्मेदार सिपाही बने श्याम रजक सत्ता के सांझ में पार्टी को अलविदा कह गए साथ ही नीतीश कुमार में तमाम अवगुण भी उन्हें दिखाई देने लगे.  राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह राजनीति ही है जो इस तरह दुःसाहसी आत्मबल नेताओं को प्रदान करता है. यानी आप कह सकते हैं कि इन लोगों को सम्भवतः नैतिकता  जैसी चीज से कोई लेना देना होता ही नहीं लेकिन नैतिकता का पाठ सबसे ज्यादा यही वर्ग पढ़ाता है.


मंत्री बने श्याम जी क्यों हो गए नाराज
मंत्री बने श्याम रजक के नाराज होने के किस्से तो कई हैं. जिसे लिखना संभव नहीं. लेकिन जो श्याम रजक ने बताया है उसके अनुसार वे लगातार पार्टी नेतृत्व के द्वारा दरकिनार किए जा रहे थे. इतना ही नहीं जिस विभाग के मंत्री थे उस विभाग में भी उनकी नहीं चलती थी. इससे पहले भी श्याम रजक के एक ऑडियो के वायरल होने के बाद यह बात स्पष्ट हो गया था कि अब नीतीश कुमार जैसे नेता के मन पर पर यह नहीं चढ़ने वाले. यही वजह भी रहा की फुलवारी शरीफ से जीतने के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. उस दौरान भी श्याम रजक मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने नहीं गए थे बाद में उन्हें किसी किसी तरह मनाया गया था इसी बीच कांग्रेस के एक बड़े दलित नेता की एंट्री जदयू में हो जाती है फिर क्या था श्याम रजक के दिन और भारी हो गए हालांकि श्याम रजक को दोबारा मंत्री पद भी दिया गया लेकिन श्याम रजक का कहना था कि उन्हें जितनी इज्जत मिलनी चाहिए उस तरीके से उनके साथ ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है. कई मुद्दों पर आगे बढ़ने के बाद पार्टी ने श्याम रजक का साथ देना छोड़ दिया था. श्याम रजक ने अपनी राजनीतिक हैसियत बताने के लिए आरक्षण को लेकर सियासत करना शुरू ही किया था कि पार्टी ने हाथ खींच लिया. इसी बीच उनके विभाग में कार्य बटवारा को लेकर इतना तनाव बढ़ गया कि जदयू से रिश्ता ही टूट गया. नाराज श्याम रजक ने न सिर्फ मंत्रिमंडल पद से मंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि विधायकी भी छोड़ दी और साथ में बंगला भी. अब श्याम रजक को तेजस्वी यादव में साहब लगातार दिख रहे हैं और अपना आशियाना महुआ बाग में बना लिया है जो उनके विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है। अब देखना यह होगा कि राजनीतिक मौसम टटोलने में माहिर श्याम रजक  इस बार अपनी भविष्यवाणी का मोल चुकाएंगे या फिर वसूलेंगे.

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