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कड़वी सच्चाई ! शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहा रही नीतीश सरकार...फिर भी अल्पसंख्यक-दलित समाज के लाखों बच्चे स्कूल से हैं बाहर

कड़वी सच्चाई ! शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहा रही नीतीश सरकार...फिर भी अल्पसंख्यक-दलित समाज के लाखों बच्चे स्कूल से हैं बाहर

पटनाः बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. सरकार का दावा है कि बिहार विकास के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है. पहले नंबर पर आंध्रप्रदेश, दूसरे पर राजस्थान और तीसरे नंबर पर बिहार है. हालांकि शिक्षा के मामले में नीतीश सरकार जो भी दावे कर ले, लेकिन हकीकत यही है कि आज भी लाखों बच्चे स्कूल से बाहर हैं. जबकि राज्य सरकार शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहाती है. इसके बाद  भी हकीकत यही है कि लाखों बच्चे विद्यालय का मुंह तक नहीं देख पाए हैं. 

बिहार का विकास दर राष्ट्रीय विकास दर से अधिक 

वित्त मंत्री विजय चौधरी ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि विकास दर में जर्बदस्त उछाल आया है. जीएसडीपी 10.98 प्रतिशत है. वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय वृद्धि दर 8.68 प्रतिशत थी,जबकि बिहार का लगभग 11 फीसदी है. बिहार से थोड़ा अधिक राजस्थान का और उससे थोड़ा ज्यादा आंध्रप्रदेश का है. इस तरह से बिहार में विकास दर में भारी उछाल आई है. यह सब बेहतर प्रबंधन का नतीजा है. विजय चौधरी ने कहा कि सड़कों के जाल में भी बिहार देश में तीसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर केरल, दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और तीसरे नंबर पर बिहार है. बिहार में पथों का घनत्व 3166.9 किमी प्रति 1000 किमी भौगोलिक क्षेत्रफल है.  

सरकारी स्कूल से लाखों बच्चे हैं बाहर 

बिहार में दावा है कि शिक्षा में बेहतर काम किए जा रहे हैं. इसके बाद भी छोटे बच्चे स्कूल से दूर हो जा रहे. आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी स्कूलों के बाहर के बच्चे अभी भी राज्य सरकार के लिए चिंता के विषय हैं. वर्ष 2020 21 में 6 से 13 आयु वर्ग के कुल 1.12 लाख बच्चे जो स्कूल से बाहर थे उनको मुख्यधारा में लाया गया था. वर्ष 2022 के लिए यह आंकड़ा 2.94 हजार बच्चों का था. इन 2.94000 बच्चों में से 1.85 लाख बच्चे 6 से 10 वर्ष आयु वर्ग के थे. वहीं 1 लाख 9 हजार बच्चे 11 से 13 वर्ष के थे. इन 2.94 लाख बच्चों में से 23% अनुसूचित जाति, 2.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 15.3% अल्पसंख्यक समुदाय के हैं .

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