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कांग्रेस की मजबूरी या रणनीति-राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का ये है स्टैंड!

कांग्रेस की मजबूरी या रणनीति-राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का ये है स्टैंड!

दिल्ली- अयोध्या में  22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरी भव्यता के साथ संपन्न होने जा रहा है. इस कार्यक्रम में हजारों लोगों को न्योता दिया गया है, पक्ष- विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं को भी निमंत्रण जा चुका है. लेकिन ये निमंत्रण किसी के लिए सियासी अवसर है तो किसी के लिए सियासी धर्मसंकट भी.कांग्रेस इस समय सियासी धर्मसंकट से जूझ रही है. अगर इस कार्यक्रम में शिरकत की, तब भी संभावित नुकसान का अनुमान है और ना जाने पर बीजेपी के ध्रुवीकरण से बचना चुनौती है. 

धर्मसंकट इसलिए क्योंकि उसे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने का न्योता मिला. अब उस न्योते की वजह से पार्टी को ये समझ ही नहीं आया कि उस कार्यक्रम में जाया जाए या नहीं. ये दुविधा इसलिए थी क्योंकि अगर उस कार्यक्रम में शिरकत की जाती, तो इसे बीजेपी अपनी जीत की तरह देखती. वो दावे के साथ कहती कि उसने कांग्रेस को भी राम मंदिर के आयोजन में आने पर मजबूर कर दिया. इसके ऊपर कांग्रेस के साथ एक मुस्लिम वोटबैंक भी जुड़ा हुआ है.अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का मुस्लिम समुदाय ज्यादा विरोध नहीं कर रहा, लेकिन बाबरी मस्जिद के गिरने का दर्द एक बड़े वर्ग के मन में पहले से चल रहा है.  ऐसे में कांग्रेस को इस बात का भी अहसास है कि उसका एक कदम इन्हीं नाराज मुसलमानों को पार्टी से दूर कर सकता है. यहीं वो धर्म संकट था जिसने कांग्रेस को अभी तक फैसला नहीं लेने दिया था. लेकिन अब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपना मन बना लिया है.

 कांग्रेस 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले ही राम मंदिर के दर्शन करना चाहती है. माना जा रहा है कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल अयोध्या जा सकता है.ये कांग्रेस की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. इस समय जब 2024 के लोकसभा चुनाव करीब हैं और बीजेपी पूरी तरह राम मंदिर के जरिए हिंदुत्व की पिच पर खेलना चाहती है, तब देश की सबसे पुरानी पार्टी खुद को इस ध्रुवीकरण से दूर नहीं रखना चाहती. ऐसे में राम मंदिर के दर्शन कर संदेश दिया जाएगा कि पार्टी के लिए राजनीति और आस्था अलग बाते हैं.

कांग्रेस सांसद शशी थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक विश्वास निजी होता है और इसका राजनीतिक प्रयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने मंदिर के संदर्भ में बोला कि अगर कोई नहीं गया तो उसे एंटी हिंदू बता देना भी गलत है. अब इस बयान से साफ है कि कांग्रेस को भी पता है कि बीजेपी किस नेरेटिव की ओर उसे खींचने की कोशिश करने वाली है. कांग्रेस के कुछ नेता जरूर राम मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना चाहते थे लेकिन दिक्कत ये थी कि वे सोनिया गांधी से पहले राम मंदिर के दर्शन करना नहीं चाहते थे. जैसा पार्टी का चलन है, इसे हाईकमान के विरोध वाला कदम भी माना जा सकता था. अब क्योंकि कई दिनों से सोनिया गांधी ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की, ऐसे में वो कांग्रेस कार्यकर्ता भी बीच में ही फंस गए. कहा जा रहा है कि उन कार्यकर्ताओं को लेकर ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि कांग्रेस नेता राम मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है. कांग्रेस में राम मंदिर जाने को लेकर इतना असमंजस है कि कार्यकर्ताओं को एक दर्शन के लिए हाईकमान के फैसले का इंतजार करना पड़ रहा है?  


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