बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

एनडीए की “मदद” कर रहे लालू यादव ! कांग्रेस को दी ‘सुगम’ के बजाय ‘दुर्गम’ सीटें, कई सीटों पर प्रतिद्वंदी को दे रहे वॉक ओवर

एनडीए की “मदद” कर रहे लालू यादव ! कांग्रेस को दी ‘सुगम’ के बजाय ‘दुर्गम’ सीटें, कई सीटों पर प्रतिद्वंदी को दे रहे वॉक ओवर

PATNA : लोकसभा चुनाव को लेकर देर से ही सही एनडीए में नहीं के बराबर विवादों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। जिसके बाद एनडीए के उम्मीदवार चुनावी रण में उतर गये हैं। लेकिन ठीक इसके विपरीत महागठबंधन में स्थिति दूसरी है। इसमें लगभग हर सीट पर पेंच फंसा है। यहाँ तक की प्रथम चरण के होनेवाले चुनाव का नामांकन खत्म हो गया। लेकिन पेंच फंसा का फंसा ही रह गया। बिहार में भी महागठबंधन के सीटों के बंटवारा का दारोमदार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही लिए रहे। बिहार के 40 सीटों में से 26 पर राजद, 9 पर कांग्रेस और वाम दलों को 5 सीट दिए गए हैं। 

हालाँकि जिस तरह सीटों का बंटवारा किया गया है। उसे भले लालू यादव सियासी प्रयोग मान रहे हैं। लेकिन इससे अधिक फायदा महागठबंधन के बजाय एनडीए को होता दिख रहा है। इसका उदाहरण सीटों के बंटवारे में देखा जा सकता है। भागलपुर सीट की बात करें तो यह राजद के फायदे का सौदा हो सकता है। लेकिन यह कांग्रेस के खाते में चला गया है। जबकि 1984 के बाद इस सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिल पायी है। हालाँकि 2009 में सदानन्द सिंह चुनाव लड़ें। लेकिन उनकी जीत नहीं हो सकी।

वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने भाजपा के शाहनवाज हुसैन को परास्त किया था। ऐसा तब हुआ था, जब देश में मोदी की लहर थी। हालाँकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के अजय मंडल ने राजद के बुलो मंडल को हरा दिया। मतलब यह की राजद के लिए यह चुनाव कांग्रेस के मुकाबले में ज्यादा आसान होता। राजद को तब वाम दल का भी सहयोग मिलता। भागलपुर में वाम दलों का कैडर वोट भी है। यहीं वजह रही की वर्ष 1999 की लोकसभा चुनाव में सीपीआई के सुबोध राय चुनाव जीत भी गए थे। वहीँ 1984 के बाद महाराजगंज के कांग्रेस की जीत नहीं हुई है। लेकिन यह सीट भी कांग्रेस को दी गयी है।

इसी तरह औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र निखिल कुमार कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं, जो बीजेपी प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सकते थे। लेकिन इस सीट को राजद ने अपने खाते में लेकर कमजोर उम्मीदवार को उतार दिया। वहीँ पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ने की शर्त पर अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर चुके पप्पू यादव को भी कांग्रेस सीट नहीं दिला सकी। इस तरह कई ऐसी सीटें हैं। जहाँ लालू यादव ने सियासी प्रयोग किया है। जिसका फायदा एनडीए को हो सकता है। ऐसी ही स्थिति नवादा में भी है, जहाँ से श्रवण कुशवाहा को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि श्रवण कुशवाहा विधायक और एमएलसी का चुनाव हार चुके हैं। भूमिहार और यादव बहुल इस क्षेत्र में राजनीति की धूरी इन दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इसी समीकरण को देखते हुए भाजपा ने विवेक ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है।   

Suggested News