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गया में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मनाई बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती, महानायकों के बताये रास्ते पर चलने का लिया संकल्प

गया में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मनाई बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती, महानायकों के बताये रास्ते पर चलने का लिया संकल्प

GAYA : संयोग है कि आज ही के दिन स्वतंत्रता आन्दोलन के दो महान हस्तियां बाल गंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर आजाद की जयंती है। इसके मद्देनजर आज कॉंग्रेस के तत्वाधान में गया के स्थानीय अनुग्रह नारायण रोड स्थित दुबे आश्रम में बाल गंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम दोनों महान हस्तियों के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात्‌ उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।

इस अवसर पर उपस्थित बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे, शिव कुमार चौरसिया, विपिन बिहारी सिन्हा, अमित कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह, टिंकू गिरी, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद शमीम आलम, मोहम्मद समद, रूपेश चौधरी, अशोक राम आदि ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की यह उक्ति की स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम इसे लेकर रहेंगे तथा वीर बांकुड़ा, क्रांति योद्धा चन्द्रशेखर आजाद का वक्तव्य जिसे उन्होंने मरते दम तक आत्मसात रखा की मैं आजाद था,  आजाद हूं,  और आजाद रहूँगा। इन दोनों आजादी के महानायक के जन - ज़न में प्रसिद्ध इनकी उक्तियों को सुनने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

नेताओं ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक एक विद्वान,  गणितज्ञ,  दार्शनिक और उत्साही राष्ट्रवादी थे। जिन्होंने ब्रिटिश शासन के प्रति अपने स्वयं की  चुनौती को राष्ट्रीय आंदोलन में बदलकर भारत के स्वतंत्रता की नीव रखने में मदद की, तो चन्द्रशेखर आजाद गर्म दल बना कर काकोरी षड्यंत्र जैसे कांड कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ धारदार संघर्ष करने, सभी क्रांतिकारी साथियों को नेतृत्व प्रदान कर आजादी की लड़ाई को नई राह देने का काम किया था।

अंत में नेताओं ने इन दोनों महानायक के पद चिन्हों पर चलने का संकल्प दोहराया तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों से इनकी  जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने तथा आज के दिन 23 जुलाई को देशभर के सभी  शिक्षण संस्थानों में इनकी  जीवनी पर  विचार गोष्ठी आयोजित कराने की मांग किया।

गया से मनोज की रिपोर्ट

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