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कांग्रेस ने सनातन धर्म के विवाद और हिन्दुत्व पर सावधानी बरतने की बनाई रणनीति, भाजपा के जाल में नहीं फंसने के लिए दी गई यह सलाह

कांग्रेस ने सनातन धर्म के विवाद और हिन्दुत्व पर सावधानी बरतने की बनाई रणनीति, भाजपा के जाल में नहीं फंसने के लिए दी गई यह सलाह

देर आयद दुरुस्त आयद...कांग्रेस को समझ में आ गया कि धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर बहुसंख्यक को नजरअंदाज करना महंगा हो सकता है. हैदराबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने कहा कि तमिलनाडु के डीएमके नेता के बयान से शुरू हुए सनातन के बयानबाजी से पार्टी को बचना चाहिए, पार्टी  के ज्यादा नेताओं का यह कहना था कि पार्टी को भाजपा के एजेंडा में नहीं फंसना चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेताओं को निजी बयान से बचने की सलाह दी है.

देश की सबसे पुरानी पार्टी है कांग्रेस, यह  पार्टी धर्मनिरपेक्षता के पालन का दावा करती है. हाल के दिनों में मुस्लिमों के मुद्दों को उठाने का नुकसान  उसे झेलना पड़ता है. जब देश के मतदाताओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा धर्मनिरपेक्षता की कथित राजनीतिक चेतना को छोड़ दिया हो तो इसके कारणों को तलाशना होगा, ऐसी नौबत आई हीं क्यों .कुछ कारण तो होगा. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हर पार्टी को धर्मनिरपेक्ष रहना चाहिए, और वैसा ही दिखना भी चाहिए. कांग्रेस ने यहीं गलती की उसने बहुसंख्यक के मुद्दे को नजरअंदाज कर अल्पसंख्यकों के मुद्दे को जोर जोर से उछाला तो बहुसंख्यकों की समस्या पर चुप रहीं. कांग्रेस नमेता वीएन गाडगिल का कहना था कि इससे कांग्रेस पर इस्लामिक पार्टी का ठप्प लागदजिसका फायदा भाजपा ने उठाया भी. हैदराबाद कांग्रेस कार्यसमिति के कुछ नेताओं के जो बयान बाहर आए हैं, उनमें भाजपा जैसी हिन्दूवादी पार्टी के जाल में फंसने के खिलाफ पार्टी के नेताओं को आगाह किया गया है. ऐसा लगता है कि सनातन धर्म के मुद्दे पर डीएमके नेताओं ने अपना जो परंपरागत रूख सामने रखा है, उसमें नया कुछ नहीं है, सिवाय भाजपा के उसे दुहने के.  भाजपा ने तुरंत ही देश के चुनावी माहौल के बीच इसे सनातन धर्म और हिन्दू धर्म पर हमला करार दिया है, और इंडिया-गठबंधन में डीएमके के साथ रहने पर कांग्रेस को भी इस हमले में शामिल बताया है.

 हिन्दुओं को हिन्दुत्व के मुद्दे पर जगाने के काम में भाजपा के अलावा कांग्रेस भी पूरी ताकत से लगी हुई है, इसलिए अब ‘जागे हुए’ जरा से भी किसी गैरहिन्दू मुद्दे पर तुरंत ही उत्तेजित हो जाते हैं. इसलिए हिन्दूवादी पार्टियों और संगठनों की दशकों से फैलाई गई ‘हिन्दू चेतना’ को जब कांग्रेस ने भी बढ़ावा दिया है, तो अब इस नई बढ़ी हुई चेतना के चलते ध्रुवीकरण और अधिक रफ्तार से होने का एक नया खतरा सामने आया है. अब बहुसंख्यक धर्म के लोगों को भी अपने धर्म का अहसास पहले से बहुत अधिक होने लगा है.हिन्दुत्व को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति के भीतर एक सावधानी की बात तो हुई है, भाजपा के जाल में फंसने से बचने की बात तो हुई है, लेकिन पार्टी के अपने आक्रामक हिन्दुत्व के लिए किसी लक्ष्मणरेखा की बात हुई हो ऐसा कम से कम खबरों में नहीं आया है. कांग्रेस शायद यह मान रही है कि धर्मनिरपेक्षता की अधिक चर्चा करना उसके लिए नुकसान की बात है. कांग्रेस के चुनावी नफे-नुकसान की आती है, और जिस देश में मुकाबला भाजपा जैसी पार्टी से हो, मोदी जैसे नेता से हो, वहां कांग्रेस को ठोस रणनीति बनानी हीं होगी, जिससे वैतरणी पार कर सके. अब देखना होगा मंत्री उदयनिधि के सनातन पर बयान के बाद उसकी रणनीति क्या 

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