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कांग्रेस का सीएम नीतीश कुमार से सवाल : इस संकट में आपदा मंत्री लापता, श्रम संसाधन मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका नगण्य क्यों

कांग्रेस का सीएम नीतीश कुमार से सवाल : इस संकट में आपदा मंत्री लापता, श्रम संसाधन मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका नगण्य क्यों

Patna : कांग्रेस ने कोरोना संकट के दौरान प्रदेश के आपदा मंत्री, श्रम संसाधन और स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। वहीं सीएम नीतीश से इसका जवाब मांगा है। 

पार्टी के विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण आपदा,श्रम संसाधन एवं स्वास्थ्य विभाग के मंत्रियों के नगण्य भूमिका खासकर आपदा मंत्री लक्षमेस्वर राय के लापता रहने पर चिंता प्रकट करते हुए इसे बढ़ते अफसरशाही का नतीजा बताया है।

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि क्या वजह है कि आपदा महामारी की इस घड़ी में पिछले 50 दिनों से आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय कहीं किसी बैठकों में या विभाग से जुड़े गतिविधियों में ना तो दिखाई पड़ रहे हैं और ना ही उनका कोई बयान आ रहा है। 

कमोवेश यही हाल श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा का है, जिन्होंने तो बयान देकर अपना दुखड़ा भी सुनाया की उन्हें ना तो किसी बैठक में बुलाया जाता है और ना ही इन्वॉल्व किया जाता है, जबकि लाखों की संख्या में प्रवसी श्रमिक बिहार आ रहे हैं और उन्हें कुछ पता ही नही चलता है कि विभाग क्या कर रहा है। वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी यदा कदा बयान देकर अपनी उपेक्षा को ढकने तथा मंत्री होने का आभास जरूर कराते हैं।

प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि उपरोक्त तीनों  विभागों का दायित्व अभी सर्वाधिक है और विभागीय मंत्रियों की भूमिका गौण कर अधिकारीयो को प्रमुखता दे दी गयी है।

उन्होंने कहा है कि कांग्रेस का मानना है कि आम लोगों की कठिनाइयों को किसी अधिकारी की जगह जनप्रतिनिधि बेहतर समझ सकते है और उसे दूर सकते है। अधिकारियों की हाथ में सारी व्यवस्था है और यही वजह है कि चाहे क्वारेंटिंन सेंटरों, प्रवासियों, श्रमिकों, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बदहाली बढ़ती ही जा रही है और रोज अधिकारी घिसा पीटा बयान देकर विफलताओं को ढंकने की कोशिश करते रहते हैं।

एमएलसी कहा कि मुख्यमंत्री का अपना अधिकार है कि वे अपने मंत्रियों के वजाय अधिकारियों की सुने, लेकिन लोकतंत्र में मंत्रियों को  महत्वहीन ही बना कर रखना था तो इन लोगों को मंत्री बनाया क्यों, जिनसे काम हीं नही लेना था।

कांग्रेस उपरोक्त तीनो मंत्रियों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए उन्हें सलाह दिया कि ऐसी हालत में इन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए वरना विफलताओं की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही जायेगा। 

वहीँ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा की दो महीने से अधिक हो गए है। लेकिन आपदा के समय बिहार सरकार की किसी भी बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री नहीं दिखे। शायद बिहार में विरले ही लोग जानते है कि आपदा मंत्री कौन है। लेकिन विभाग के चंद विशेष बाबुओं को “अतिविशिष्ट योग्यता” के कारण सब जानते है। देश में सबसे अधिक श्रमिक संकट बिहार में है, लाखों श्रमवीर परेशान है, 40 से अधिक मज़दूर भूख और दुर्घटना में मारे जा चुके है। लेकिन बिहार के श्रममंत्री ड़र के मारे बैठकों से ग़ायब है। अगर उन्हें बैठकों में जाने से कोरोना संक्रमण का ड़र है तो ऐसे मंत्री को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए।

उन्होंने कहा की विपदा प्रबंधन संबंधित विभागों जैसे श्रम और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बैठकों से ग़ायब है। लेकिन ग़ैर-संबंधित विभागों के मंत्री कथित समीक्षा बैठकों में हर समय मौजूद रहते है। नेता प्रतिपक्ष के नाते हम पूछना चाहते है कि संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री विपदा के समय ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों से क्यों ग़ायब रहते है? क्या भाजपा कोटे के ऐसे सभी मंत्री नकारा है इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें पूछते ही नहीं और अधिकारियों को सीधे निर्देश देते है? या फिर क्या उन मंत्रियों के मुख्यमंत्री आवास में जाने से वहाँ संक्रमण फैलने का डर है? 

ऐसी क्या रहस्यमयी बात है जो जनता से छिपायी जा रही है?

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