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बिहार के स्कूलों में सरकारी छुट्टी पर विवाद , महात्मा गांधी पर बाबा साहेब अंबेडकर पड़े भारी ,2 अक्टूबर की छुट्टी कैंसिल, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले में लिया संज्ञान

बिहार के स्कूलों में सरकारी छुट्टी पर विवाद , महात्मा गांधी पर बाबा साहेब अंबेडकर पड़े भारी ,2 अक्टूबर की छुट्टी कैंसिल, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले में लिया संज्ञान

पटना- बिहार के सरकारी स्कूलों में कुल 60 छुट्टियों का प्रावधान किया गया है. इसमें महात्मा गांधी पर बाबा साहेब अंबेडकर भारी पड़ते दिखे हैं. 2 अक्टूबर की छुट्टी कैंसिल करके अंबेडकर जयंती की छुट्टी दी गई है. हंगामे की मुख्य वजह बिहार सरकार का वो सर्कुलर रहा जिसमें सरकारी स्कूलों में 60 छुट्टियों का बंटवारा बेतरतीब तरीके से करने का आरोप भाजपा ने प्रमुखता से उठाया.  दावा किया गया कि हिंदू  पर्वों की छुट्टियों में कटौती गई और मुस्लिम त्योहारों को तरजीह दी गई। बवाल मचा तो नीतीश के मंत्री बैकफुट पर आ गए. सफाई देने लगे. 28 नवंबर की शाम होते-होते अपना पक्ष रखते हुए कहा-सामान्य स्कूलों में अतिरिक्त पांच छुट्टियों का प्रावधान महाशिवरात्रि, वसंत पंचमी , जन्माष्टमी , रामनवमी और चित्रगुप्त पूजा पर किया गया है। वहीं, उर्दू विद्यालयों में ईद और बक़रीद पर तीन-तीन दिन की छुट्टी का प्रावधान है.सोमवार की शाम शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छुट्टी के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। नए कैलेंडर के मुताबिक, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, रामनवमी, शिवरात्रि, तीज, वसंत पंचमी के अवसरों पर छुट्टियों में कटौती की गई जबकि ईद और बकरीद की छुट्टियां 3-3 दिन कर दी गई थी. बिहार में सरकारी स्कूलों में छुट्टियों को लेकर जारी विवाद के बीच शिक्षा विभाग ने सफ़ाई भी दी है. विभाग के अनुसार अवकाश कैलेंडर सामान्य और उर्दू स्कूलों के लिए अलग अलग हैं. सामान्य विद्यालयों में हिंदू पर्व और उर्दू स्कूलों में ईद और बक़रीद पर अतिरिक्त छुट्टियों का प्रावधान किया गया है.

सोमवार की शाम शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छुट्टी के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। नए कैलेंडर के मुताबिक, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, रामनवमी, शिवरात्रि, तीज, वसंत पंचमी के अवसरों पर छुट्टियों में कटौती की गई जबकि ईद और बकरीद की छुट्टियां 3-3 दिन कर दी गई थी.

बिहार में सरकारी स्कूलों में छुट्टियों को लेकर जारी विवाद के बीच अब शिक्षा विभाग ने मंगलवार शाम सफ़ाई दी है. विभाग के अनुसार अवकाश कैलेंडर सामान्य और उर्दू स्कूलों के लिए अलग अलग हैं.वर्ष 2024 के लिए अवकाश तालिका तैयार की गई है। इसके पीछे मूल सिद्धांत ये है कि सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से वर्ष 2024 के लिए तय सरकारी अवकाशों को देखकर ही विद्यालयों में भी सभी अवकाश तय किए गए हैं.

पहली बार सामान्य और उर्दू विद्यालय के नाम पर अलग-अलग छुट्टी आदेश का क्या औचित्य है? मुस्लिम हेतु शुक्रवार को छुट्टी? क्या सरकारी कर्मचारी भी धर्म के आधार पर बांटे जाएंगे?' सुशील कुमार मोदी ने सरकार से सवाल पूछा है. पूरा मामला सरकारी स्कूलों में छुट्टी के जारी हुए कैलेंडर को लेकर है. बिहार शिक्षा विभाग ने सामान्य और उर्दू स्कलों के लिए अलग-अलग होली-डे कैलेंडर जारी किया है। सुशील मोदी का दावा है कि आजादी के बाद बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है कि धर्म के आधार पर सरकारी छुट्टी का कैलेंडर जारी किया गया हो.

एक ओर विपक्ष इस मामले में राज्य सरकार पर हमलावर है. वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले में संज्ञान ले ली है.आयोग ने सरकार से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगा है।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की स्थापना मार्च 2007 में संसद के एक अधिनियम (दिसंबर 2005) के तहत बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी. आयोग का जनादेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक प्रणालियाँ भारत के संविधान के साथ-साथ बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में प्रतिपादित बाल अधिकारों की दृष्टि के अनुरूप हैं.

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