डेस्क: जहाँ एक तरफ अपने देश में डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है, उन्हें पूजा जाता है और कहते हैं की भगवान से कभी कोई गलती नही होती तो वहीं दूसरी तरफ एक इन्सान रुपी भगवान ने तो अपने भक्त की किस्मत ही बदल दी उसे जीवित से मृत घोषित कर के .घटना है दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक 'लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल' की (एलएनजेपी) जिनकी लापरवाही के कारण एक जीवित मरीज का डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया .हालांकि, बाद में गलती को स्वीकार करते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम को जानकारी दे दी गई है.
दरअसल बात यह थी की 24 नवंबर को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद फतेहपुर बेरी निवासी 33 वर्षीय श्रीनिवास कुमार को एलएनजेपी में भर्ती करवाया गया था. उसी दौरान अस्पताल में एक और 44 वर्षीय श्रीनिवास नामक शख्स को भर्ती कराया गया था. गलती से दोनों का मोबाइल नंबर भी एक्सचेंज हो गया. 3 दिसंबर को 33 वर्षीय श्रीनिवास का कोरोना टेस्ट किया गया, लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं आई.
33 वर्षीय श्रीनिवास का कहना है कि उनकी रिपोर्ट नहीं आने से वो परेशान थे और लगातार डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन से इस बारे में पूछ रहे थे. तभी उनके मोबाइल पर लिंक उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा भेजा गया, जब उन्होंने इस लिंक को खोला तो उसमें उन्होंने अपना मृत्यु प्रमाण पत्र देखा जिसे देख कर वे हैरान रह गए .
बता दें की उस मृत्यु प्रमाण पत्र के अनुसार 33 वर्षीय श्रीनिवास की मृत्यु की तिथि 1 दिसंबर 2020 थी और पंजीकरण की तिथि 6 दिसंबर व पंजीकरण संख्या एमसीडीओएलआईआर-0220189022 है. 33 वर्षीय श्रीनिवास का कहना है कि जिंदा होने के बाद भी उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बन जाने से वो काफी डर गए हैं.
एलएनजेपी अस्पताल के अधिकारी के अनुसार अब उस मामले को अब सुलझा लिया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों श्रीनिवास का कागजात एक्सचेंज हो गया था, लेकिन देखभाल में कोई कमी नहीं थी. बता दें की इससे पहले एलएनजेपी में लापरवाही का एक और मामला सामने आया था, जब दो व्यक्तियों के शवों पर एक ही नाम 'मोइनुद्दीन' लिख दिया गया था.