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डॉ. सीपी ठाकुर की जगह किस भूमिहार नेता को भेजा जाएगा राज्यसभा,या फिर चुनाव से ठीक पहले ब्रह्मर्षियों को नाराज कर जोखिम लेने के लिए तैयार है बीजेपी ?

डॉ. सीपी ठाकुर की जगह किस भूमिहार नेता को भेजा जाएगा राज्यसभा,या फिर चुनाव से ठीक पहले ब्रह्मर्षियों को नाराज कर जोखिम लेने के लिए तैयार है बीजेपी ?

PATNA: जाति की थाती पर नाचती बिहार की राजनीति की पहचान एक बार फिर सामने आने वाली है।पार्टी कोई भी हो मौका देखकर पउआ जाति का हीं चुनती है,ताकि वोट की राजनीति चलती रहे। बता दें कि बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही है।इन पांच में तीन जेडीयू और दो सीटें बीजेपी कोटे की है जहां सदस्यों के रिटायरमेंट के बाद चुनाव होंगे।बीजेपी की बात करें तो वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर और आर.के सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो रहा है।वहीं जनता दल युनाइटेड के तीन सदस्य कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है।

एनडीए को 2 सीटों का होगा नुकसान

इन सबों के बीच एनडीए राज्यसभा के आगामी चुनाव में दो सीटों का नुकसान होने वाला है।वहीं राजद को 2 सीटों का फायदा मिलने की उम्मीद है।सबसे अधिक परेशानी बीजेपी को होने वाली है।बीजेपी को इस बार सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ेगा।बिहार में भूमिहारों के चेहरा डॉ. सी.पी ठाकुर का इस बार राज्यसभा में जाना संभव नहीं दिखता।क्यों कि उनकी उम्र अधिक हो गई है।वहीं आर .के सिन्हा जो कायस्थ समाज से आते हैं उनका भी राज्यसभा जाना संदिग्ध है।उम्र के हिसाब से दूबारा भेजे जाने की स्थिति में नहीं हैं.


डॉ. सीपी ठाकुर के बाद किस भूमिहार नेता को भेजा जाएगा राज्यसभा

जानकार बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके डॉ. सीपी ठाकुर को इस बार फिर से राज्यसभा भेजे जाने की संभावना न के बराबर है। दरअसल सीपी ठाकुर का भूमिहार समाज में अच्छी छवि है और एक निर्विवाद नेता रहे हैं।वे बीजेपी में होने के बाद भी समाज की लड़ाई लड़ते रहे हैं।लेकिन इस बार उम्र की अधिकता के मद्देनजर मौका नहीं मिलेगा।ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर किस नेता को मौका मिलेगा।यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि बीजेपी के खाते में जो एक सीट गई है वह भूमिहार या फिर कायस्थ कोटे से भरी जाएगी।

वैसे भूमिहार खेमे में कई नामों की चर्चा है।दावेदारों ने अपनी लॉबिंग भी शुरू कर दी है। सारा फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है लिहाजा बिहार के नेता पटना से लेकर दिल्ली तक का दौड़ लगा रहे हैं।

क्या भूमिहार को नहीं भेजकर बीजेपी करेगी रणनीतिक चूक

लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट वितरण में जब इस जाति की उपेक्षा की गई तो अपेक्षा अनुरूप बवाल मच गया।सबको याद है कि कैसे बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता को आनन-फानन में चार्टेड विमान से दिल्ली ले जाया गया जहां टिकट नहीं मिलने पर उस नेता ने अपनी शर्तों में बीजेपी नेतृत्व को बांध दिया था। अमित शाह के आदेश पर बिहार बीजेपी नेताओं ने पटना आकर प्रेस कांफ्रेंस किया और सफाई दी कि इस वर्ग की उपेक्षा की गई है।जिसकी भरपाई विधानपरिषद और राज्यसभा की सीट देकर की जाएगी।तब पार्टी नेतृत्व ने बड़ी मुश्किल से तूफान को शांत किया था।लेकिन चूंकि इस बार भूमिहारों का एक सर्वमान्य नेता रिटायर हो रहा है तो अंदरखाने में यह चर्चा शुरू है कि अगर इनकी जगह पर किसी भूमिहार नेता को राज्यसभा में नहीं भेजा गया तो विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को नारजगी झेलनी होगी।

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने बताया कि लालू के जमाने में जब बीजेपी बिल्कुल अकेली थी तो इस समाज ने साथ दिया था।आज भी यह समाज ईमानदारी पूर्वक बीजेपी के साथ है।बीजेपी के द्वारा किए जा रहे सौतेला व्यवहार से यह वर्ग नाराज है और नाराजगी दिखा भी चुका है।बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी का नेतृत्व सीपी ठाकुर की जगह किसी भूमिहार नेता राज्यसभा नहीं भेजकर जान बूझकर नाराजगी मोल लेगी?या फिर कोई और दांव चलकर अपने साथ लेकर चलने की कोशिश करेगी। 

नामांकन की आखिरी तारीख 13 मार्च 

राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना 6 मार्च को जारी की जाएगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 13 मार्च है. 16 मार्च तक नामांकन पत्रों की छंटनी होगी. नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 18 मार्च है. जिसके बाद 26 मार्च को सुबह 9 बजे से लेकर शाम चार बजे तक वोटिंग होगी. शाम पांच बजे से मतगणना शुरू होगी. उसी दिन नतीजों का ऐलान कर दिया जाएगा.


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