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कभी सीपीआई का गढ़ रह चुके सूर्यगढा विधानसभा चुनाव में बाहुबली से नेता बने और नीतीश के चाणक्य की प्रतिष्ठा दांव पर

कभी सीपीआई का गढ़ रह चुके सूर्यगढा विधानसभा चुनाव में बाहुबली से नेता बने और नीतीश के चाणक्य की प्रतिष्ठा दांव पर

- 19 प्रत्याशी में मुकाबला एनडीए महागठबंधन एवं लोजपा प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है 

- सूर्यगढा विधानसभा चुनाव में शुरू सीपीआई कांग्रेस का गढ़ था और जनप्रतिनिधि हुआ करता थे। लालूजी के सम्राज्य स्थापित होते ही 1995 से सीपीआई का गढ़ समाप्त हो गई। लड़ाई अब राजद भाजपा में रह गई।

- 2020 सूर्यगढा विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रेम रंजन पटेल के  जगह जदयू के प्रत्याशी रामानंद मंडल को उतार गया है

 - 2015 के चुनाव में आरजेडी को मिली थी जीत

पटना... बिहार की सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट कभी सीपीआई और कांग्रेस  का गढ़ हुआ करती थी। एक ओर जहां बीजेपी और आरजेडी मजबूत होती गई तो वहीं सीपीआई और कांग्रेस का ग्राफ नीचे गिरता गया। सीपीआई को शुरुआती चुनावों में तो यहां पर जीत मिली, लेकिन बीजेपी की एंट्री के बाद वो कांग्रेस और सीपीआई दोनों कमजोर होती गई। 1995 से सूर्यगढ़ा में मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच ही होता है। 2015 के चुनाव में आरजेडी के प्रह्लाद यादव ने बीजेपी के प्रेम रंजन पटेल को मात दी थी। 2020 में इस बार बीजेपी से जदयू का सीट हो गया होने से जदयू सीट से रामानंद मंडल एनडीए से अलग होकर लोजपा ने सूर्यगढा के चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रवि शंकर सिंह उर्फ अशोक बाबू ,भूमिहार जाती के उम्मीदवार को मैदान में उतार कर  मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। जिसको लेकर बाहुबली लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व सांसद सूरजभान सिंह एवं क्षेत्र के चाणक्य नीति पर चलने वाले मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का प्रतिष्ठा दांव पर लग गया है। दोनों गांव-गांव भ्रमण कर रहे हैं। 

वहीं प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव चानन में इंटौन यादव बाहुल्य क्षेत्र में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेदनी चैकी कोइरी कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। जब जब राजद प्रत्याशी चुनाव पराजित हुआ है भूमिहार ब्राह्मण मतदाताओं के सहयोग से। 35 वर्षों से भूमिहार प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया है। आरक्षण की मार जात-पात की राजनीति में भूमिहार हासिये पर चला गया। 2020 सूर्यगढा विधानसभा चुनाव में एनडीए ने घानुक तो राजद ने प्रह्लाद यादव पर फिर से विश्वास जताया है ।जबकि लोजपा ने भूमिहार प्रत्याशी उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। इस क्षेत्र में सावर्ण जातियों की संख्या लगभग  80 हजार है।  ऐसे हालात में  जात पात पर मतदान रहा तो महागठबंधन प्रत्याशी पहलाद यादव का पलड़ा भारी लग रहा है।  सवर्ण जातियों का परंपरागत वोट एनडीए में गया तो पलड़ा  भारी रामानंद मंडल के तरफ होगा। अभी तक मतदाता गोलबंद नहीं हुए हैं। 

राजनीतिक पृष्ठभूमि

सूर्यगढ़ा में विधानसभा का पहला चुनाव साल 1957 में हुआ था. यहां पर तब सीपीआई को जीत मिली थी। हालांकि, अगले चुनाव में यहां पर कांग्रेस विजयी होती है। सीपीआई 1967 में एक बार सूर्यगढ़ा में वापसी करती है और बीपी मेहता यहां के विधायक चुने जाते हैं।

1967 और 1972 का चुनाव जीतने के बाद सीपीआई को 1977 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रामजी प्रसाद के हाथों हार मिलती है और 1990 तक सीपीआई को जीत का इंतजार करना पड़ा।

तब सतीश कुमार ने बीजेपी के प्रसिद्ध नारायण सिंह को मात दी थी। सीपीआई की ये यहां पर आखिरी जीत थी। हाल के चुनावों पर नजर डालें तो यहां पर मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच हुआ है। 1995 से 2015 के चुनाव तक यहां पर सिर्फ दो नेताओं को जादू चला है। 1995, 2000, 2005 और 2015 का चुनाव आरजेडी के प्रह्लाद यादव ने जीता तो वहीं 2005 का उपचुनाव और 2010 का चुनाव बीजेपी के प्रेम रंजन पटेल के नाम रहा। इस सीट पर हुए अब तक 15 चुनावों में सीपीआई को 4, आरजेडी को 3, बीजेपी को 2 और कांग्रेस को 3 बार जीत मिली है।

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के अनुसार, सूर्यगढ़ा की जनसंख्या 478679 है. अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात कुल जनसंख्या में से क्रमशः 14.76 और 1.63 है।

विधायक के बारे में

आरजेडी के प्रह्लाद यादव सूर्यगढ़ा के विधायक हैं। 1 मई 1960 को जन्मे प्रह्लाद यादव की शैक्षणिक योग्यता स्नातक है. उन्होंने 1980 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। वह जेपी आंदोलन के दौरान जेल भी गए थे। साल 1995 में चुनाव जीतकर प्रह्लाद यादव पहली बार विधानसभा पहुंचे। वह लखीसराय में आरजेडी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं।

2015 का जनादेश

सूर्यगढ़ा में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में 164367 वोटर्स थे। इसमें से 54.08 फीसदी पुरुष और 45.92 महिला वोटर्स थीं। सूर्यगढ़ा में 164367 लोगों ने वोट डाला था। यहां पर 51 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में आरजेडी के प्रह्लाद यादव ने बीजेपी के प्रेम रंजन पटेल को मात दी थी।

प्रह्लाद यादव को 82490 (50.2 फीसदी) और प्रेम रंजन पटेल को 52460 (31.92 फीसदी) वोट मिले थे। प्रह्लाद यादव ने 20 हजार से ज्यादा वोटों से हासिल की थी। वहीं सीपीआई यहां पर तीसरे स्थान पर थी।


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