PATNA : पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल स्थित उल्लारधाम में द्वापरयुगीय पौराणिक उल्लार्क सूर्य मंदिर में आज आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा, लोक आस्था और अटूट श्रद्धा और विश्वास की महान महापर्व छठपुजा के लिए जुटे बड़े पैमाने पर लाखों की संख्या में छठवार्टियों एवं श्रद्धालू भक्तों जन सैलाब ने सूर्य मंदिर परिसर में स्थित ऐतिहासिक तलाब में अस्तचलगामी सूर्य( डूबते सूर्य )का अर्ग देकर भगवान भाष्यकर और छठी मईया का आराधना कर मनोकामनाएं पूर्ति के लिए आशीर्वाद माँगा.
जानकारी के अनुसार द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के जाम्वती पुत्र राजा शाम्ब को महर्षि दूर्वासा की श्राप से पुरे शरीर में भयंकर कुष्ट रोग हो गया था, जिससे मुक्ति के लिए महर्षि दूर्वासा से क्षमा याचना के बाद सुझाए गए उनके द्वारा उपाय के बाद राजा शाम्ब ने देश विभिन्न स्थलों पर बारह सूर्य मंदिर( सूर्य पीठो )की स्थपना किया था, जिसमें कोणार्क, लोल्लार्क, देवार्क में से एक तीसरा सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा विश्विख्यात अर्क स्थली उल्लार्क सूर्य मंदिर हैं जोकि अब उल्लारधाम सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता हैं.यहाँ हर साल कार्तिक एवं चैत्र मास में छठपुजा के लिए लाखों की संख्या में बड़े पैमाने पर श्रद्धांलु छठवर्तियों की भीड़ छठ पूजा के लिए आते हैं. इस साल भी हर साल की भांति एक अनुमान के अनुसार लगभग 4से 5 लाख के बीच छठवार्टियों की महा जनसैलाब आने की उम्मीद हैं.
यहाँ उल्लारधाम सूर्य मंदिर परिसर में स्थित ऐतिहासिक तलाब की पवित्र जल में लाखों छठवर्तियों ने स्नान के बाद दिन के दो बजे से ही 24घंटे की निर्जला उपवास के बाद पहला अर्ग अस्तचलगामी सूर्य की अर्ग देने शुरू कर दिया जोकि देर शाम तक चलता रहा, उसके बाद भगवान की गर्भ गृह में स्थापित भाष्यकर और छठमईया की पूजा अर्चना करते हुए अपने परिवार की सुख समृद्धि की मंगल कामना करते हुए मनोकामनाएं पूर्ण करने की आशीर्वाद लिया.
कल दूसरे दिन अहले सुबह 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद उदयगामी सूर्य (उगते सूर्य )की अर्ग देने के साथ चार दिवसीय छठपुजा की पारण के साथ समापन करेंगे.
यहाँ की क्या विशेषताए हैं
उल्लार धाम में छठवर्तियों की पूरी होती हैं सभी मनोवांक्षित मनोकामनाएं.
वहीं उल्लारधाम सूर्य मंदिर संरक्षक सह सूर्यमठ महंथ बाबा अवध बिहारी दास कहते हैं कि यह द्वापरकालीन पौराणिक सूर्य मंदिर हैं जिसको भगवान श्री कृष्ण के पुत्र राजा शाम द्वारा स्थापित किया गया था, उन्हें महर्षि दुर्वासा के श्राप से कुष्ठ व्याधि (रोग )पूरे शरीर में भयंकर रूप से हो गया था, जिससे मुक्ति के लिए देश के विभिन्न स्थलों पर 12 अर्क स्थलीयों का निर्माण करते हुए 12 सूर्य पीठो को स्थापित किया था,जिसमें कोणार्क,लोलार्क, देवार्क, ओंगार्क में से तीसरा सबसे विश्व विख्यात उलार्क सूर्य मंदिर हैं.
अवध बिहारी दास बताते हैं कि यहां पर जो भी श्रद्धालु भक्त अटूट आस्था और विश्वास के साथ मन में अपने जो भी मन्नते मानकर आते हैं उनकी सभी मनवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है, जोभी मन में मन्नते निःसंतान दाम्पति संतान प्राप्ति के साथ निरोगी काया, अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना लेकर आते हैं उनकी सभी मनोवांक्षित मनोकामनाएं अवश्य इस दरबार में पूरी होती है. इसलिए लोग यहाँ मन्नते मानने और मन्नते पूरी होनी पर छठपुजा के लिए यहाँ मन में अटूट श्रद्धा और विश्वास के साथ हर साल कार्तिक और चैत मास में आते हैं. दिन प्रति दिन यहाँ की बढ़ती ही जा रही है. हर वर्ष छठवर्तियों की भीड़ बढ़ रही हैं.
मन्नते पूरी होने पर माँ अपनी आंचल पर नेटुआ की नाच नचवाने की परम्परा पुरानी हैं...
यहां की विशेष एक परंपरा सदियों से चली आ रही हैं वह यह हैं की जो कोई भी निसंतान दंपति की संतान प्राप्ति की मन्नतें के पूरी होने पर उल्लारधाम में आकर छठ पूजा करती हैं अपने पुत्र- पुत्री प्राप्ति के बाद मानते उतारने की परंपरा के तहत नेटुआ की नाच नाचवा कर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं, यहाँ की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है आज तक जारी है.
जिला प्रशासन ने किए कड़े सुरक्षा इंतजाम....
जिला और अनुमंडल प्रशासन द्वारा सुरक्षा की पुख्ता और कड़ा इंतजाम किया गया है. करीब 4 से 5 किलोमीटर के दायरे में फैले मेले परिसर में चप्पे चप्पे और सभी चौक चौराहा पर महिला और पुरुष सुरक्षा
कर्मियों की तैनाती के साथ हर कदम पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी नजर रखी जा रही हैं,सुरक्षा इंतजाम की निगरानी करने के लिए एक कंट्रोल केंद्र के साथ साथ सैंकड़ो की संख्या ने CCTV कैमरे से मेले परिसर की कड़ी निगरानी की जा रही है.
वहीं छठवतियों की सुविधाओं के लिए चेंजिंग रूम, शौचालय, पीने के लिए स्वच्छ पेयजल,छठवर्तियों को ठहरने के लिए टेंट सिटी का निर्माण, डॉक्टरों की टीम के साथ स्वास्थ्य शिविर, के साथ साथ ऐतिहासिक तालाब के गहरे पानी मैं छतवर्तियों के जाने से बचाव के लिए तालाब की बेरेकेटिंग, किसी भी आकस्मिक आपदा से निपटने के लिए SDRF टीम दो वोट के साथ गस्ती करती नजर आ रही है.
इस दौरान पालीगंज SDM जयचंद्र यादव और DSP प्रीतम कुमार खुद मेले परिसर की निगरानी करते हुए दिखाई दिए, साथ ही बड़े पैमाने पर अनुमंडल प्रशासन की मजिस्ट्रेट की टीम मेले में किसी हादसे को रोकने के लिए निगरानी करने में जुटी रही।