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Independence Day Special : देश का ऐसा गाँव जहाँ से सेना में हैं 10 हजार जवान, 14 हज़ार हो चुके हैं रिटायर

Independence Day Special : देश का ऐसा गाँव जहाँ से सेना में हैं 10 हजार जवान, 14 हज़ार हो चुके हैं रिटायर

N4N DESK : आज पूरा देश आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है. 75 वां साल होने की वजह से इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. हजारों लोगों ने इस आज़ादी को पाने को अपनी जान कुर्बान कर दी. कईयों ने हंसते हँसते फांसी के फंदे को गले लगा लिया. आज़ादी के बाद हमारे देश के जवान देश की सीमा की रक्षा में जुटे हैं. आज हम आपको एक ऐसे गाँव के बारे में बता रहे हैं. जहाँ के हजारों युवा देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तत्पर हैं. इस गाँव के हजारों युवा आज भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सीमाओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं. इस गाँव का नाम है गहमर, जो हावड़ा नई दिल्ली रेलमार्ग पर बक्सर के ठीक दो स्टेशन बाद स्थित है. मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इस गांव के 10 हजार सपूत इंडियन आर्मी में सेवा दे रहे हैं. जबकि 14 हजार लोग भूतपूर्व सैनिक रह चुके हैं. बताया जाता है की यह गांव भारत का ही नहीं एशिया महाद्वीप का भी सबसे बड़ा गांव है. जो सैनिकों के गाँव के साथ  कमइच्छा माई (मां कामाख्या) के लिए भी जाना जाता है. 

गाँव के लोग बताते हैं की इस गाँव को कुसुम देव राय ने 1530 ई. में बसाया था. जिसे उस समय सकरा डीह गाँव के रूप में बसाया था. आज इस गाँव में 5 गाँव शामिल है. जिसमें 22 टोले हैं. हर टोले का नाम एक किसी न किसी मशहूर सैनिक के नाम पर रखा गया है. इस गाँव के बीएसएफ जवान जगत सिंह बताते हैं की हम चार भाईयों में तीन भाई सेना में है. जबकि मेरे पिताजी और दादाजी भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं. एक भाई सेवानिवृत हो चुके हैं, जो पिताजी के साथ ही पेंशन लेने जाते हैं. उन्होंने कहा की इस गाँव के इंडि‍यन आर्मी में जवान से लेकर कर्नल तक हैं. प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हो, 1965 और 1971 का युद्ध या फिर कारगिल की लड़ाई, सब में यहां के फौजियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे, जिनमें 21 मारे गए थे. इनकी याद में गहमर में एक शिलालेख लगा हुआ है. 

इस गाँव के रहनेवाले सेवानिवृत आर्मी जवान प्रेम सिंह ने बताया की आज भी आज भी इस गाँव के युवाओं में देशभक्ति की भावना में कोई कमी नहीं आई है. रोज सैकड़ों गाँव के मठिया पर सेना की तैयारी करते मिल जायेंगे. खुद मेरे की घर की चौथी पीढ़ी सेना में भर्ती हो चुकी है. 

राजगीर कुमार सिंह की रिपोर्ट  

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