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रिसर्चः RWD इंजीनियर ने 'पत्नी' के नाम पर अर्जित की अकूत संपत्ति, पटना स्थित घर को बना दिया मिनी 'जू'

रिसर्चः RWD इंजीनियर ने 'पत्नी' के नाम पर अर्जित की अकूत संपत्ति, पटना स्थित घर को बना दिया मिनी 'जू'

PATNA: बिहार में आम जनता की गाढी कमाई के पैसे से सरकारी अधिकारी मालामाल हो रहे। वैसे अधिकारियों की चांदी है जो निर्माण व विकास के कामों लगे हैं। इंजीनियरों की बात तो कुछ और ही है। अब तक कई करोड़पति अधिकारी-इंजीनियर पकड़े भी गये हैं। नीतीश सरकार ने तीन जांच एजेंसियों की खुली छूट दे दी है। साल भर के दौरान 50 से अधिक धनकुबेर अफसर निगरानी के जाल में फंसे हैं। आज भी बड़ी संख्या में ऐसे अफसर हैं जो अर्जित संपत्ति को छुपाने में लगे हैं। हम आपको आज ग्रामीण कार्य विभाग के चंपारण में पदस्थापित एक सहायक अभियंता के बारे में बतायेंगे। साहब के पास संपत्ति का कोई हिसाब नहीं है। पटना के मकान में ही मिनी चिड़ियाघर बनवा लिया है।

विकास की 'किरण' से रौशन है इंजीनियर की जिंदगी

सहायक अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग से जुड़े हैं। अभियंता के घर विकास की ‘किरण’ जबरदस्त रूप में पहुंची है। लिहाजा पत्नी के नाम पर पटना समेत आसपास के इलाकों में काफी संपत्ति अर्जित कर ली। पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में 2-2 मकान,बिहटा,दानापुर व अन्य जगहों पर जमीन के कई प्लॉट खरीदे। यह सब डेढ़ दशक से चल रहा। हालांकि इस दौरान पत्नी के नाम पर अर्जित 6 प्रोपर्टी को इंजीनियर ने बेंचा भी। अकूत संपत्ति में कई का उल्लेख संपत्ति के ब्योरा में  नहीं किया है। जमीन के प्लॉट इतना कि कुछ को सार्वजनिक करना शायद भूल गये हों। आखिर विकास की किरण इंजीनियर के घर में इतना कैसे पहुंच रहा। जबकि पत्नी हाऊस वाइफ बताई जाती हैं। सहायक अभियंता की सपंत्ति से जुड़े जो कागजात मिले हैं उसे देखकर आप चौंक जायेंगे। पत्नी के नाम पर दर्जनों जमीन के प्लॉट की खरीद की गई, कुछ है और कुछ को बेंचकर माल निकाल लिया। फुलवारी शरीफ में दो-दो मकान है। बताया जाता है कि बिहटा में इंजीनियर ने पत्नी के नाम पर 2009-10 में लगभग 10 कट्ठा जमीन की खरीद की।बताया जाता है कि इसका उल्लेख भी संपत्ति के ब्योरा में नहीं किया। जांच एजेंसी लगातार इस तरह के अधिकारियों की कुंडली खंगालने में जुटी है।  

पशु-पक्षी के शौकीन तो घर में ही बनवा लिया 'जू'

सहायक अभियंता संपत्ति अर्जित कर शानो-शौकत की जिंदगी जी रहे। विकास की किरण जब घर पहुंची तो एक मकान को ही चिड़ियाघर में तब्दील कर लिया। फुलवारी शरीफ वाले मकान में ही तरह-तरह के पशु-पक्षी पालने लगे। घर को मिनी जू का दर्जा दे दिया। मिनी जू में बंदर के अलावे कई तरह के पक्षी को पाल रहे हैं, इनमें कई तो प्रतिबंधित भी बताये जाते हैं। बताया जाता है कि जू बनाने व पशु-पक्षी पालने पर इंजीनियर काफी पैसे बहा रहे।

अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिर ये धनकुबेर सहायक अभियंता हैं कौन....। A. E साहब मोतिहारी जिले में पदस्थापित हैं। वैसे तो पैतृक निवास उप्र बार्डर से लगी सीमा है। लेकिन अब पटना में 2-2 मकान है। लिहाजा स्थाई पता फुलवारीशरीफ हो गया है। अगली कड़ी में बतायेंगे कि सहायक इंजीनियर की संपत्ति का पूरा ब्योरा.....।


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