बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

धनकुबेर अफसर ! वर्मा जी को छोडिए...'सिंह साहब' तो और भी बड़े खिलाड़ी थे, दोनों हाथ से माल कमाया, 'मंत्री' ने संपत्ति जांच के दिए आदेश...'महिला मंत्री' के चंगुल में ऐसे फंसे की पैरवी कराकर भागना पड़ा

धनकुबेर अफसर ! वर्मा जी को छोडिए...'सिंह साहब' तो और भी बड़े खिलाड़ी थे, दोनों हाथ से माल कमाया, 'मंत्री' ने संपत्ति जांच के दिए आदेश...'महिला मंत्री' के चंगुल में ऐसे फंसे की पैरवी कराकर भागना पड़ा

PATNA: बिहार में धनकुबेर अफसरों की कमी नहीं है. धनकुबेर अफसर किसी एक विभाग के हों ऐसा नहीं, अधिकांश विभाग की यही हालत है. जांच एजेंसियां जहां भी हाथ डाल रहीं, वहीं से धनकुबेर निकल रहा है. 13 अक्टूबर को आर्थिक अपराध इकाई ने एसएफसी के सहायक प्रबंधक सुशील कुमार वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की. पता चला कि वह तो नौकरी के सात सालों में ही अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा है .वर्मा जी 2016 में सरकारी सेवा में आए हैं. महज 7 साल में उन्होंने आय से अधिक 101% संपत्ति अर्जित कर ली. आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने उनके यहां छापेमारी कर अवैध संपत्ति का खुलासा किया है. वैसे सिर्फ वर्मा जी ही नहीं...बात चली है तो सिंह साहब की भी चर्चा कर लेते हैं. सिंह साहब ने गरीबों के निवाले से अपनी क्षुधा शांत करने की कोई कसर नहीं छोड़ी.  

बिहार प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं 'सिंह साहब'

सिंह साहब बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. लंबे समय तक गरीबों की क्षुधा की आग शांत करने वाले निगम में कुंडली मार कर बैठे थे. कहा जाता है कि निगम में सिंह साहब की तूती बोलती थी. बड़े पद पर थे लिहाजा चढ़ावा भी उसी हिसाब से आता था. भारी बदनामी हो गई थी. उगाही पर सिर्फ अपना अधिकार जताते थे. लिहाजा मामला फंस गया. मामला ऐसा फंसा कि वहां से हटाने के लिए पैरवी लगानी पड़ी. आखिर ऐसी क्या नौबत आन पड़ी, जो सिंह साहब को यह सब करना पड़ा.

सिंह साहब दोनों हाथ से माल कमाया... विभागीय मंत्री ने संपत्ति जांच को लेकर लिख दिया पत्र

दरअसल, सिंह साहब ने विभाग के ही मंत्री से पंगा ले लिया था. मंत्री के काम में अड़ंगा लगाने लगे या फिर उनकी बातों की अनुसूनी करने लगे. लिहाजा मंत्री जी कि भृकुटी तन गई. सिंह साहब का सारे कारनामों से तो मंत्री जी वाकिफ थे ही. वे जानते थे कि निगम में कुंडली मारकर सिंह साहब क्या कर रहे हैं. बस क्या था...मंत्री जी ने सिंह साहब पर नकेल कसना शुरू किया. विभागीय मंत्री ने सिंह साहब की अकूत संपत्ति जांचने का आदेश कर दिया. बजाप्ता पीत पत्र लिखकर सिंह साहब की संपत्ति जांचने, कितने समय से गरीबों का निवाला से जुड़े निगम में पदस्थापित हैं, निगरानी ब्यूरो से जांच कराने तक को कह दिया.

पत्र के बाद तो खलबली मच गई..भागने के जुगाड़ में लग गए

विभागीय मंत्री के पीत पत्र लिखने के बाद तो खलबली मच गई. सिंह साहब बेदाग नहीं बल्कि चेहरे पर दाग ही दाग था, भले ही वो बाहर में दिख नहीं रहा था. लिहाजा भारी टेंशन में पड़ गये. कहा जाता है कि सिंह साहब ने निगम से अपनी क्षुधा शांत करने को खूब मिहनत किया था. दोनों हाथों से कमाई की थी. पटना से लेकर दूसरे प्रदेश यहां तक राष्ट्रीय राजधानी में बेटों-रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति अर्जित की है. लिहाजा सिंह साहब भारी परेशानी में पड़ने लगे. इसके बाद वे डैमेज कंट्रोल में जुट गए. एक तरफ मंत्री जी को शांत करने का जुगाड़ देखने लगे तो दूसरी तरफ निगम से भागने की कोशिश. खैर महीनों बाद सिंह साहब का ट्रांसफऱ हो गया. अब वो माननीयों से जुड़े विभाग में संयुक्त सचिव का काम देख रहे हैं.  





Editor's Picks