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जाति जनगणना पर कांग्रेस में मतभेद ! राहुल गांधी की मांग पर कांग्रेस नेता जताई आपत्ति, CM नीतीश को भी नसीहत

जाति जनगणना पर कांग्रेस में मतभेद ! राहुल गांधी की मांग पर कांग्रेस नेता जताई आपत्ति, CM नीतीश को भी नसीहत

पटना. बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद कई राजनीतिक दलों की ओर देश भर में जातीय जनगणना कराने की मांग की जा रही है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पूरे देश में जाति जनगणना कराने की मांग की है. लेकिन राहुल की मांग से अलग उनके ही दल के नेता ने जाति जनगणना की मांग पर आपत्ति जताई है. साथ ही इशारों में इसे एक गलत ट्रेंड भी बता दिया है जिसमें बहुसंख्यकवाद से होने वाले खतरे की ओर संकेत दिया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इशारों में नसीहत दी है कि 'जितनी आबादी उतना हक' के नारे का समर्थन करने वाले लोगों को पहले इसके नतीजों को भी समझना चाहिए. अगर जितनी आबादी उनका हक पर काम होगा तो बहुसंख्यवाद का सामना करना पड़ सकता है.

कांग्रेस प्रवक्ता व सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा कि 'जितनी अधिक जनसंख्या, उतने अधिक अधिकार' का विचार अंततः'बहुसंख्यकवाद' में परिणत होगा। सिंघवी ने कहा कि अवसर की समानता कभी भी परिणामों की समानता के समान नहीं होती है। जितनी आबादी उतना हक का समर्थन करने वाले लोगों को पहले इसके परिणामों को पूरी तरह से समझना होगा। इसकी परिणति बहुसंख्यकवाद में होगी.

दरअसल, बिहार में जाति गणना सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ओबीसी की संख्या अधिक होने पर उनके अधिकारों को और बढ़ाने की मांग भी शुरू हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने 'जितनी आबादी, उतना हक' के नारे का समर्थन करते हुए कहा कि यह कांग्रेस की प्रतिज्ञा थी. इसी पर अब अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी आपत्ति जताई है. उन्होंने साफ किया है कि इस प्रकार से यह बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देगा. उनका संकेत है कि इसका मतलब होगा कि समाज में जिसकी ज्यादा संख्या है उसी के पास अधिकांश अधिकार रहेंगे. यानी समाज में ऐसे वर्ग जिनकी संख्या कम है वे हाशिये पर चले जाएंगे. 

जाति सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार में भी कई नेताओं ने मांग की है बहुसंख्यक आबादी वाले यादव और मुस्लिम वर्ग के लोगों को राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौपी जाए. पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, यदि जातीय सर्वे के आंकड़े सही हैं, तो सबसे बड़ी आबादी (36फीसद ) वाले अतिपिछड़े समाज का व्यक्ति मुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम होना चाहिए. सर्वे का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को अतिपिछड़ों के लिए गद्दी छोड़नी चाहिए. वहीं आचार्य प्रमोद कृष्णम  ने भी कहा कि जातीय “जनगणना” के आधार पर बिहार में सर्वाधिक संख्या “दलित” और “मुसलमानों” की हैं, इस लिये अब नीतीश जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी दलित या मुसलमान को सौंप कर “जितनी जिसकी संख्या भारी-उतनी उसकी हिस्सेदारी” के स्लोगन को सार्थक करते हुए बाबा साहब के सपने को “साकार” कर देना चाहिये,क्यूँ कि 20% दलित 18% मुस्लिम के होते हुए सिर्फ़ 3% वाली जाति का CM होना तो “बेईमानी” है.

गौरतलब है कि नीतीश कुमार, राहुल गांधी, लालू यादव सहित कई अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना होनी चाहिए. हालांकि केंद्र सरकार ने इसे नकार दिया है. बिहार सरकर का कहना है कि जातीय गणना होने से समाज के वंचित वर्गों तक बेहतर तरीके से कल्याणकारी योजनाएं पहुंच सकती हैं. वहीं अब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. 

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