NEWS4NATION DESK : गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को प्रस्तुत कर दिया है और इसपर चर्चा जारी है। बिल को पेश करते हुए गृह मंत्री की ओर से कहा गया कि इस बिल से यातना का जीवन जी रहे लोगों को मदद मिलेगी। नागरिकता संशोधन बिल से करोड़ों लोगों को उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है।
अमित शाह ने कहा कि यह देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। इससे पूर्वोत्तर के लोग भी परेशान न हों।भारत के किसी भी मुसलमान को इस विधेयक के कारण चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई आपको डराने की कोशिश करे तो घबराएं नहीं। नरेंद्र मोदी सरकार संविधान के अनुसार काम कर रही है, जहां अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 1985 में असम समझौता हुआ। राज्य की स्वदेशी संस्कृति की रक्षा के लिए खंड छह में प्रावधान है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि खंड छह की निगरानी के लिए समिति के माध्यम से एनडीए सरकार असम के अधिकारों की रक्षा करेगी। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन इस कमेटी का हिस्सा है।
वहीं इस बिल को लेकर कांग्रेस की ओर से पुरजोर विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस ने सरकार से कई सवाल किये है। कांग्रेस से वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस विधेयक को पारित करवाने को लेकर सरकार को इतनी जल्दीबाजी क्यों है। इसके विरोध का कारण राजनैतिक नहीं है। नागरिकता का मतलब भूगोल से नहीं बल्कि जन्म से होता है। यह संविधान की नींव पर हमला है। इतिहास से छेड़छाड़ अन्याय होगा। विभाजन की पीड़ा सबको है। कांग्रेस पर विभाजन के आरोप लगाए गए।
शर्मा ने शाह से सवाल करते हुए कहा किआपने इतिहास लिखने का किसी को प्रॉजेक्ट दिया है तो कृपा कर ऐसा न करें। औपचारिक रूप से सावरकर ने घोषणा की थी कि जिन्ना के टू नेशन थिअरी से मुझे कोई आपत्ति नहीं है। यह कांग्रेस ने नहीं दी थी।