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जुड़ने के पहले ही INDIA में बिखराव ! भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की पहल को बड़ा झटका, सीएम नीतीश की बढ़ी चिंता,

जुड़ने के पहले ही INDIA में बिखराव ! भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की पहल को बड़ा झटका, सीएम नीतीश की बढ़ी चिंता,

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर भले ही विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल के तहत तीन बैठकें हुई हों. विपक्षी गठबंधन का नाम भी 'इंडिया' रखा गया हो. बावजूद इसके इंडिया में मजबूती दिखने के बदले दरार ही दरार दिख रहा है. सीएम नीतीश की पहल पर 26 राजनीतिक दल एक साथ बैठक भले कर लिए हों लेकिन उनके आपसी समन्वय की कमी है और यह जाहिर हो चुका है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देश के पांच राज्यों में हो रहा विधानसभा चुनाव है. इसमें उम्मीद थी कि इंडिया की एकजुटता भाजपा और एनडीए के खिलाफ दिखेगी. हालांकि ऐसा दिख नहीं रहा है और यह इंडिया में दरार का सबसे बड़ा सूचक है. 

दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी यानी दिल्ली के मुख्यमंत्री की पार्टी भी चुनावी मैदान में उतर चुकी है. आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. आम आदमी पार्टी ने राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए अपने 29 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. आप के इस निर्णय से इंडिया को बड़ा झटका लगा है. अब तक दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुकी आप के इस कदम से सबसे बड़ी परेशानी कांग्रेस की हुई है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस अब तक भाजपा से सीधा मुकाबला करने की तैयारी में थी. वहीं अब आप के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस को वोटों के बिखराव का डर सताने लगा है. 

अरविंद केजरीवाल के इस निर्णय से इंडिया का गठजोड़ भी कमजोर हुआ है. सीएम नीतीश की पहल पर देश के विपक्षी दलों को एक साथ लाकर भाजपा और एनडीए के खिलाफ मजबूती से इंडिया के लड़ने की बातें हो रही थी. वहीं अब इंडिया के घटक दल खुद ही एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे. यह भाजपा को हराने की रणनीति में बड़ा झटका माना जा रहा है. विशेषकर अरविंद केजरीवाल के इस निर्णय को कांग्रेस बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रही है. इससे कांग्रेस को डर है कि वोटो का एक बार फिर बिखराव होगा और इसका फायदा भाजपा विधानसभा चुनाव में उठा लेगी. 

लोकसभा चुनावों के लिए इंडिया : इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं का दावा है कि तीन राज्यों यानी एमपी, छत्तीसगढ़  और राजस्थान में पार्टी पूरे दम खम के साथ चुनाव लड़ेगी. पार्टी के इस निर्णय का बचाव करते हुए आप के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा कि विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी पूरी तरह से तैयार है. जहां तक गठबंधन दलों में टकराव की बात है तो इस मसले पर पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है न कि विधानसभा चुनावों के लिए. इस रणनीति को ध्यान में रखते हुए आप पांचों राज्यों में गठबंधन की बजाय अलग-अलग चुनाव लड़ेगी. वहीं पिछले दिनों  इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेता शरद पवार ने हाल ही में कहा था कि 28 दलों से सियासी दल विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ सकते हैं. 

वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भले ही अरविंद केजरीवाल और शरद पवार विधानसभा चुनाव अलग अलग लड़ने के फैसले का बचाव करें लेकिन इसे भाजपा अब चुनावी मुद्दा बनाएगी कि इंडिया के घटक दलों में आपसी समन्वय की कमी है. एक ओर एनडीए के तमाम दल विधानसभा चुनवों में मजबूती के साथ एकजुट हैं तो दूसरी ओर इंडिया इस प्रकार का संदेश देने में असफल साबित हुआ है. ऐसे में विधानसभा चुनावों में इंडिया का यह बिखराव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता भी बढ़ाने वाला है कि उनकी पहल पर एकजुट हुआ इंडिया अपनी मजबूती का संदेश नहीं दे पा रहा है. 

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