बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

गया में रंग लायी डीएम की पहल, जिले में 23 लाख लीटर नीरा का हुआ उत्पादन और बिक्री, सैकड़ों जीविका दीदियों को हुआ फायदा

गया में रंग लायी डीएम की पहल, जिले में 23 लाख लीटर नीरा का हुआ उत्पादन और बिक्री, सैकड़ों जीविका दीदियों को हुआ फायदा

GAYA : बिहार में प्राकृतिक रूप से तार एवं खजूर के पेड़ों की अच्छी उपब्धता है। राज्य में शराब बंदी से पूर्व इन पेड़ों से प्राप्त रास को पारंपरिक रूप से ताड़ी में परिवर्तित कर सेवन किया जाता था। ताड़ी एक अल्कोहलिक पदार्थ है जबकि नीरा नान अल्कोहलिक है।  ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत जीविका के माध्यम राज्य सरकार ने तार एवं खजूर के पेड़ से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक रास को ताड़ी की स्थान पर नीरा के रूप में प्रोत्साहित कर रही है। बिहार के सभी 38 जिलों में पारंपरिक रूप से ताड़ी उपत्पादन से जुड़े परिवारों को नीरा उत्पादन एवं बिक्री के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

गया जिले में भी तार एवं खजूर के पेड़ों की अच्छी उपब्धता है। नीरा का उत्पादन एवं बिक्री में जिला ने राज्य में विशेष उपलब्ध पाई है। नीरा के स्थाई एवं अस्थाई केंद्रों के माध्यम से अच्छी मात्रा उत्पादन किया गया है। प्रबंधक कृषि कौटिल्य द्वारा बताया गया कि जिला परियोजना प्रबंधक जीविका आचार्य मम्मट के निर्देशन में जिले में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 23 लाख लीटर से अधिक नीरा का उत्पादन एवं बिक्री किया गया है। 92 नीरा उत्पादक समूहों से 2754 अधिक जीविका दीदियों के माध्यम से नीरा एवं उससे जुड़े उत्पादों की बिक्री की गई है। नीरा से गुड़ एवं मिठाई बनाने हेतु बराचट्टी, बोधगया, नीमचक बथानी, मानपुर वजीरगंज एवं टनकुप्पा से 200 ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। महिलाओँ को ताड़ एवं खजूर के पेड़ों से प्राप्त पत्तों से उपयोगी उत्पादों को निर्माण करने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। नीरा से आजीविका संवर्धन हेतु जीविका दीदियों के माध्यम से नीरा से जैविक गुड़ बनाने एवं बिक्री हेतु कार्य किया जा रहा है। 

प्रबन्धक संचार दिनेश कुमार ने उदाहरण देकर बताया की बिहार में नीरा उत्पादन एवं बिक्री बढ़ने हेतु इसे प्रचारित करने की आवश्यकता है। इसमें आजीविका की अच्छी संभावना है। नीरा से आजीविका संवर्धन के उदाहरण देखें तो बोधगया के इलरा ग्राम की रहने वाली पुष्पा राज एवं डब्लू कुमार ने नीरा के मौसम में विभिन्न फेल्वर के ठण्डे नीरा की बिक्री। साथ ही नीरा से निर्मित मिठाईयों के द्वारा प्रसिद्धि पाई है। पुष्पा राज शांति जीविका महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं अपने पति डब्लू कुमार एवं परिवार के अन्य लोग साथ बोधगया में नीरा एवं नीरा से निर्मित मिठायों की बिक्री का कार्य कर अच्छा जीविकोपार्जन अर्जित कर रही हैं।  यह घर पर नीरा की मिठास का प्रयोग कर बिना चीनी के मिठाइयों का निर्माण करती हैं। इन मिठाइयों को परिवार की मदद से बोधगया में महाबोधि मंदिर के समीप स्थित नीरा गुमटी में इनकी बिक्री की जाती है। इन मिठाइयों को लोग खूब पसंद करते है। इनकी नीरा दुकान में नीरा के अलावा नीरा से निर्मित लड्डू, पेड़ा, रामदाना मिठाई, तिलकु आदि मिलता है। इसकी लोगों द्वारा खूब प्रशंसन की जा रही है। पुष्प राज बताती हैं की जीविका के कारण ही मेरा जीवन बदला है। लोग मुझे और मेरा पति को जानने लगे हैं। हमने जीविका के कारण जीवन में आत्मनिर्भरता पाई हैं।

समय-समय पर समीक्षा कर जिला पदाधिकारी गया डॉ. त्यागराजन एस एम द्वारा जिले को नीरा उत्पादन को प्रोत्साहित किया है। नीरा को एक प्रकृति पेय के रूप में प्रचारित करने के लिए जनसंपर्क विभाग एवं जीवका द्वारा समय-समय पर अभियान चलाया जा रहा है। जिला पदाधिकारी ने स्वयं नीरा के पोषक एवं स्वास्थवर्धक गुणों की तारीफ की है। लेकिन किसी पदार्थ को पूर्व के रूप से ने रूप में अपनाने में समय लगता है। आम लोगों में नीरा की जानकारी पहुंचने की जरूरत  है।  नीरा के अतिरिक्त पूर्व में पारंपरिक रूप से ताड़ी एवं शराब के उत्पादन एवं बिक्री से जुड़े शामिल हैं, को सतत् जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से वैकल्पिक जीविकोपार्जन गतिविधियों से जोड़ लाभ पहुँचाया जा रहा है।

गया से मनोज की रिपोर्ट

Suggested News