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क्या आप जानते हैं महिलाओं के ये अवगुण कर देते हैं कुल का पतन, कैसे पहचाने पुरुष का चरित्र

क्या आप जानते हैं महिलाओं के ये अवगुण कर देते हैं कुल का पतन, कैसे पहचाने पुरुष का चरित्र

डेस्क...कई सभ्यताओं के पतन की कहानियां इतिहास में दर्ज हैं।समाज एक तरफ़ा हो गया है अगर कोई पुरुष चरित्रहीन है तो चलता है पर कोई महिला चरित्रहीन हो तो समाज को दिक्कत होती है जब की ऐसा होना चाहिये पुरुष हो या महिला आप दोनों को अपने चरित्र का पतन नहीं करना चाहिए.सुखी जीवन व्यतित करने के लिए वैदिक ऋषियों-मुनियों ने बहुत से सूत्र बताए हैं। उन्हीं सूत्रों में एक ग्रंथ है मनुस्मृति जिसमें महिलाओं के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। जिससे उनकी पवित्रता बनी रहती है और वो समाज में आदर पाती हैं। किसी महिला का चरित्र गिर जाए तो उसकी समाज में निंदा होती है, अपमान होता है। चरित्रहीन महिला पापों में लगकर पशुता तथा नरकों की तरफ जा रही होती है। ऐसी स्त्रियों का संग भी पतन करने वाला होता है….

1. मदिरा पान करने वाली, उत्पाती पुरुषों का संग करने वाली, पति के साथ न रहने वाली, बिना किसी काम के इधर-उधर विचरन करने वाली, असमय एवं देर तक सोने वाली, अपना घर छोड़ दूसरे के घर में रहने वाली।

2. शर्म और लज्जा नारी के आभूषण हैं। जब कोई महिला इनका त्याग कर देती है तो उसे अपयश का सामना करना पड़ता है। मदिरा पान करने वाली महिलाएं परिवार और समाज में अपना वर्चस्व खो देती हैं।

3. उत्पाती पुरुषों का संग करने वाली महिलाओं का पतन बहुत जल्दी हो जाता है। उनकी वजह से परिवार की अन्य महिलाओं को भी समाज में बुरी नजरों से देखा जाता है।

4. पति के साथ न रहने वाली महिलाओं और उनके बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब सकता है। विवाह उपरांत पति के साथ रहने पर ही महिला को समाज में उचित मान- सम्मान प्राप्त होता है।

5. बिना किसी काम के इधर-उधर विचरन करने वाली महिला के चरित्र में दोष आ सकता है। विवाहित महिला ऐसा करे तो वो अपने ससुराल और मायके दोनों की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है।    

पुरुष का चरित्रवान होना बहुत आवश्यक है,मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी-एक स्त्री ने अपने पति से पूछा,मुझे कैसे विश्वास हो कि तुम हमारे प्रति वफादार हो? उस युवक ने कहा,यदि मैंने किसी दूसरी स्त्री पर आज तक गलत निगाह नहीं डाली होगी तो कोई तुम्हारे बारे में भी गलत नहीं सोचेगा. स्त्री ने पति की परीक्षा हेतु एक दिन भीड़ में एक किशोर का हाथ पकड़ा-किशोर बोला, क्या है माता जी ?,दूसरे किसी दिन एक युवक का हाथ पकड़ा-युवक बोला,बहिन जी कोई परेशान कर रहा क्या?,तीसरे अवसर पर एक वृद्ध का सहारा लिया,बृद्ध बोला -बेटी तू क्यों दुखी है ?तब उसे विश्वास हुआ,हमारा पति उच्च आचरण का है.अतः सामाजिक परिवेश में सद आचरण करने का उत्तरदायित्व प्रत्येक जीव का है,तभी हमारी नारियां भी सावित्री जैसी सौभाग्यशालिनी होंगी,जिसने अपने आचरण से पिता और पति दोनों कुलों के सारे कष्ट अपनी तपस्या की अग्नि में भष्म कर दिए. कोई विदेहकन्या ही सीता रूप में अपने पति का वनवास काल में अनुसरण कर सकती है,जिसके ऐसे आचरण से उसका पिता भी अपने को गौरान्वित महसूस कर के-“पुत्रि पवित्र किये कुल दोउ”का उद्घोष करेगा और पुत्रि के तपस्वी वेश को भी अपना गौरव समझेगा. ऐसी नारियों का सौभाग्य और सद्चरित्र कर्मठ पुरुषों का पौरुष ही हमारे देश का स्वर्णिम भविष्य है अब उस महिला को समझ में आगया होगा क्यों लोग उसे अच्छा बोलते थें.

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