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सुस्त पड़ा सुशासन ! DTO ने संपत्ति छुपाई हो गई कार्रवाई...'परिवहन दारोगा' ने सरकार की नजरों से संपत्ति छुपाई, अब तक जांच भी शुरू नहीं

सुस्त पड़ा सुशासन ! DTO ने संपत्ति छुपाई हो गई कार्रवाई...'परिवहन दारोगा' ने सरकार की नजरों से संपत्ति छुपाई, अब तक जांच भी शुरू नहीं

PATNA: बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की रफ्तार काफी धीमी है. कुछ ऐसे सरकारी सेवक हैं जो सेवा काल के दौरान दोनों हाथ से माल बटोरते हैं. ऐसे अधिकारियों-कर्मियों पर कार्रवाई के लिए सरकार के पास तीन हथियार हैं. लेकिन इन ये हथियार भी कारगर साबित नहीं हो रहे. भ्रष्टाचार रूपी रावण विकराल रूप लेते जा रहा और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. भ्रष्ट लोकसेवकों के कारनामों का खुलासा होने के बाद भी सरकार के स्तर से वैसे लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होती या फिर कार्रवाई की रफ्तार इतनी धीमी होती है कि समय निकल जाता . एक ऐसे ही लोकसेवक (परिवहन दारोगा) की छिपाई गई संपत्ति का न्यूज4नेशन ने खुलासा किया था. लेकिन अब तक विभाग के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि उक्त लोकसेवक ने संपत्ति के मामले में सीधे तौर पर सरकार की आंखों में धूल झोंका है. 

ऐसे ही मामले में तत्कालीन डीटीओ पर हो गई कार्रवाई 

परिवहन विभाग में एक डीटीओ के खिलाफ निगरानी ने छापा मारा. तत्कालीन डीटीओ ने संपत्ति बनाई और उसे सरकार की नजरों से छुपा लिया. यानि संपत्ति की सार्वजनिक नहीं किया. निगरानी का छापा पड़ा तो इस मामले का खुलासा हुआ. निगरानी ब्यूरो ने कैमूर के तत्कालीन डीटीओ अनिमेष कुमार के खिलाफ 2016 में आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था. इसके बाद कैमूर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी. तत्कालीन जिला परिवहन पदाधिकारी अनिमेष कुमार ने अपने बैंकों का पूर्ण विवरण, चल एवं अचल संपत्ति का पूर्ण विवरण संपत्ति के ब्योरा में नहीं दिया था. साथ ही नाजायज एवं अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने की बात सामने आई थी. निगरानी छापा के बाद परिवहन विभाग ने इस संबंध में 28 अक्टूबर 2016 को सामान्य प्रशासन विभाग को जानकारी दी थी . इसके बाद दागी अफसर के खिलाफ आरोप पत्र गठित किया गया. पटना प्रमंडल की कमिश्नर को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया. पटना कमिश्नर ने 20 अप्रैल 2023 को जो रिपोर्ट दिया जिसमें आरोप संख्या 1,2 एवं 3 को अप्रमाणित पाया गया. जबकि आरोप संख्या चार को प्रमाणित तथा आरोप संख्या 5 को आंशिक प्रमाणित प्रतिवेदित किया. आरोपी पदाधिकारी अनिमेष कुमार के खिलाफ कुल 19 लाख 21992 रुपए आय से अधिक संपत्ति का आरोप प्रमाणित पाया गया . इसके बाद इन्हें निंदन एवं संचयात्मक प्रभाव से तीन वेतन वृद्धि पर रोक का दंड निश्चय किया गया है. तत्कालीन डीटीओ अनिमेष कुमार वर्तमान में कटिहार में वरीय उप समाहर्ता के पद पर पदस्थापित हैं. यह तो एक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की खबर हुई, जो उस समय जिला परिवहन पदाधिकारी के पद पर कार्यरत्त थे.परिवहन विभाग में बहुत सारे ऐसे लोक सेवक हैं जिन्होंने संपत्ति तो बनाई लेकिन सरकार की नजरों से छुपा लिया. एक ऐसे की प्रवर्तन अवर निरीक्षक के खेल का न्यूज4नेशन ने खुलासा किया था. लेकिन अभी तक जांच की गाड़ी आगे नहीं बढ़ी है. 

रिवहन दारोगा ने 1 दिन में ही 2 बीघा जमीन खऱीदा और सरकार से छुपा लिया है

परिवहन विभाग का प्रवर्तन अवर निरीक्षक( दारोगा) भी कम नहीं. कुछ माह पहले तक राजधानी में तैनात परिवहन विभाग के प्रवर्तन अवर निरीक्षक ने सरकार की नजरों से बचने का जबरदस्त खेल खेला. उन्होंने खुद या पत्नी के नाम पर जमीन की खरीद नहीं की. नाबालिक बेटे को आगे कर दिया. नाबालिग पुत्र के नाम पर एक दिन में ही लगभग दो बीघे जमीन की खऱीद कर ली . बेटे को माईनर (कम उम्र) दिखाया और पत्नी को गार्जियन बना दिया. इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री कराई. शिकारपुर निबंधन कार्यालय में नवंबर 2022 में परिवहन दारोगा ने जमीन की रजिस्ट्री कराई.  जमीन की खरीद करना गलत नहीं पर छुपाना गलत है. छुपाई गई संपत्ति को सरकार अवैध मानती है. परिवहन दारोगा ने वही काम किया है. राजधानी में प्रतिनियुक्ति के बाद वह प्रवर्तन अवर निरीक्षक अब यूपी के सीमावर्ती जिला जहां के तत्कालीन डीटीओ के खिलाफ ऐसे ही मामले में कार्रवाई हुई वहीं तैनात हैं. परिवहन दारोगा ने 2023 में संपत्ति का जो ब्योरा दिया है, उसमें इस प्रॉपर्टी का जिक्र नहीं किया. परिवहन दारोगा ने सरकार के समक्ष 7 फऱवरी 2023 को संपत्ति का ब्योरा दिया है, उसमें नवबंर 2022 में खरीदी गई 115 डिसमिल जमीन की जानकारी छुपा लिया. सरकार का स्पष्ट आदेश है कि छुपाई गई संपत्ति को अवैध (आय से अधिक संपत्ति) मान कार्रवाई की जायेगी. यानि सरकार के रूल के अनुसार, परिवहन दारोगा की अर्जित संपत्ति अवैध मानी जा सकती है. 

चंपारण के रहने वाले हैं दारोगा जी

परिवहन दारोगा के बारे में जान लें. परिवहन दारोगा का पैतृक जिला चंपारण है. कुछ समय पहले तक वो राजधानी में प्रतिनियुक्त थे. चार माह पहले उन्हें सीमावर्ती जिला में तैनात किया गया है. समझ सकते हैं कि जो परिवहन दारोगा एक दिन में दो बीघे जमीन की खरीद कर सकता है, वो कितना बड़ा धनकुबेर होगा. वैसे निगरानी ब्यूरो ने इसी साल किशनगंज में प्रतिनियुक्त एक परिवहन दारोगा  विकास कुमार के ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति केस में छापेमारी की थी. इसके पहले एक और परिवहन दारोगा श्यामनंदन प्रसाद के खिलाफ भी निगरानी की कार्रवाई हो चुकी हैसमस्तीपुर के तत्कालीन इंफोर्समेंट इंस्पेक्टर श्यामनंदन प्रसाद के खिलाफ 2 दिसंबर 2019 को निगरानी ने DA केस दर्ज किया था. इसके बाद कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. यह केस अभी भी जांच में है। लेकिन यह प्रवर्तन अवर निरीक्षक जिसने सरकार की नजरों से बेटे के नाम पर खरीदी गई जमीन को छुपा लिया. अब तक विभाग के स्तर से कोई जांच भी शुरू नहीं की गई है. जबकि छुपाई गई संपत्ति और उजागर की गई संपत्ति के ब्योरे के कागजात उपलब्ध हैं.


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