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स्वभाव से हैं शांत लेकिन खेल के मैदान में तूफान...

स्वभाव से हैं शांत लेकिन खेल के मैदान में तूफान...

N4N DESK: मैदान में हमने कई खिलाड़ियों को देखा है जिनको बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है और बहुत जल्द मैदान पर ही लाल पीले हो जाते हैं. बहुत से खिलाड़ी अपनी इन्ही आदतों के कारण खेल जगत में कंट्रोवर्सी  में भी रहे हैं. लेकिन आज हम आपको उन खिलाड़ियों के बारें में बताने जा रहे है, जिनको आपने शायद ही मैदान में लाल- पीले होते देखा होगा...
 
 

पीट संप्रासदुनिया के सर्वकालिक महान टेनिस खिलाडिय़ों में से एक अमेरिका के पीट संप्रास अपने जमाने के दिग्गज थे. 2002 में अमेरिकी ओपन ग्रैंडस्लैम जीतकर संन्यास लेने वाले 43 वर्षीय संप्रास ने कुल 14 ग्रैंडस्लैम खिताब जीते हैं. पीट सम्प्रास अपने करियर में तेजी से सर्विस मारने के लिए जाने जाते थे जिसके कारण ही उनका निकनेम "पिस्टल पीट" पड़ा.
 
 

सचिन तेंदुलकर: सचिन का नाम आते ही पहली जो तस्वीर उभरती है वों है रिकॉर्ड्स की पूरी लिस्ट. अपने पूरे क्रिकेट करियर के दौरान सचिन ने हर चुनौती का जवाब अपने बल्ले से दिया। वह शिखर पर रहे और शिखर पर रहते हुए रिटायर हुए। सचिन ने अपने पूरे क्रिकेट करियर में बेहद शालीन बने रहे, बेहद शांत बने रहे साथ ही बेदाग रहे। सचिन के क्रिकेट करियर से हम ये प्रेरणा ले सकते हैं कि कैसे शालीन और सरल बने रहकर भी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं और सफलता के शिखर पर अंत तक बने रह सकते हैं

क्रिस गेल: शायद ही कोई ऐसा हो जो क्रिस गेल के तुफानी छक्के को देखा ना हो. ये क्रिकेट के ऐसे खिलाड़ी हैं जो मैदान पर गेंदबाजों को दिन हो या रात हमेशा तारे ही दिखाते हैं. कैरेबियाई के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में से एक क्रिस गेल ने अपने करियर में कई आक्रामक पारी खेली है और टीम को विजयी बनाने में अहम योगदान दिया है। गेल भी मैदान में शांत ही नजर आते है।

प्रकाश पादुकोणप्रकाश पादुकोण ने भारतीट बैडमिंटन को विश्व में पहचान दिलाई है. प्रकाश पादुकोण विश्व के सबसे पुराने बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने थे. जिससे दुनिया में भारतीय बैडमिंटन की नई पहचान बनी. लेकिन पादुकोण निजी जिंदगी में बेहद ही शांत ही सभ्य है. 

मेजर ध्यानचंद: तारीख 14 अगस्त 1936 जब बर्लिन के हॉकी स्टेडियम में 40,000 लोग मैच देखने के लिए मौजूद थे. मैच के हाफ टाइम तक भारत सिर्फ एक गोल से आगे था. इसके बाद ध्यान चंद ने अपने स्पाइक वाले जूते और मोजे उतारे और नंगे पांव खेलने लगे. इसके बाद तो गोलों की झड़ी लग गई. 6 गोल खाने के बाद उनके गोलकीपर की हॉकी ध्यान चंद के मुंह पर इतनी ज़ोर से लगी कि उनका दांत टूट गया. उपचार के बाद मैदान में वापस आने के बाद ध्यान चंद ने खिलाड़ियों को निर्देष दिए कि अब कोई गोल न मारा जाए. सिर्फ जर्मन खिलाड़ियों को ये दिखाया जाए कि गेंद पर नियंत्रण कैसे किया जाता है. तो ये थे ध्यानचंद जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था. जिन्होने खेल से सभी को अपना दीवाना बना दिया था. 

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