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ई है पटना यूनिवर्सिटी तू देख बबुआ,"का पर करूँ सिंगार पिया मोर आंधर" वाली स्थिति में नार्थ ईस्ट का ऑक्सफ़ोर्ड

ई है पटना यूनिवर्सिटी तू देख बबुआ,"का पर करूँ सिंगार पिया मोर आंधर" वाली स्थिति में नार्थ ईस्ट का ऑक्सफ़ोर्ड

Patna : कभी नॉर्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहा जाने वाला पटना विश्वविद्यालय अब सिर्फ देखने और सुनने भर रह गया है।  साल भर से तो एक विभाग खुला ही नहीं है। प्रोफेसर की कमी से जूझ रहे विश्वविद्यालय में नियुक्ति का नाम लेना भी पाप है। पढ़ाई छोड़ कर बाकी सब कुछ चकाचक।

14 नए विभागों के प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया लेकिन.....

कभी राज्य से बाहर यहां तक कि विदेशों के विद्यार्थी भी पटना विश्वविद्यालय में पढ़ने को लालायित रहते थे। यही कारण था कि इसे नॉर्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था। लेकिन फिलहाल स्थिति बद से बदतर है। वर्तमान विभागों में प्राध्यापकों की भारी कमी है। पिछले कई सालों से प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं बदलते परिवेश में 14 नए कोर्स को शुरू करने के लिये जब 14 विभागों को सृजित करने के प्रस्ताव सरकार को भेजे गए तो उस पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। 

डीन सह मीडिया प्रभारी प्रोफेसर एनके झा कहते हैं कि सरकार के पास प्रस्ताव भेजे हुए काफी समय हो गए उम्मीद है कि सरकार इस पर जल्द ही कुछ फैसला लेगी।  विभाग और कोर्स खुलने से छात्रों को काफी फायदा होगा ।अब सवाल इसका है पुराने विभागों में ही प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही तो फिर नए विभाग कैसे खोले जाएंगे। 

जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक, परफॉर्मिंग आर्ट्स, आपदा प्रबंधन, एनर्जी स्टडीज जैसे कोर्स हैं जिसके लिए नए विभाग खोले जाने की जरूरत है। 

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब नया विभाग खोला जाएगा  नया पद भी सृजित करना होगा। जहां पहले से ही एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की कमी है, उस स्थिति में नया पद सृजित कैसे किया जाएगा। 

विश्वविद्यालय के द्वारा सिंडिकेट से प्रस्ताव पास कराकर 1 दर्जन से अधिक नए विभाग खोलने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। लेकिन एक कहावत है कि "का पर करूँ श्रृंगार पिया मोर आंधर"। जब सरकार ही सुस्त है तो भला विश्विद्यालय प्रशासन क्या करे।

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