मणिपुर की भाजपा सरकार द्वारा दर्ज कराई गई FIR के खिलाफ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

DESK. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मणिपुर की भाजपा सरकार द्वारा चार पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट बुधवार को ही इस मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. मणिपुर हिंसा पर एक रिपोर्ट पर जारी करने को लेकर मणिपुर सरकार ने आपत्ति जताई है. रिपोर्ट को तथ्यों से परे बताकर भ्रामकता फ़ैलाने को मणिपुर पुलिस ने चार पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज की है. अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि खबरों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया और गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी दी. उन्होंने उनसे जमीन पर जाकर जमीनी हकीकत देखने और सच्चाई का पता लगाने के लिए सभी समुदायों के सदस्यों से बात करने को कहा. जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य - सीमा गुहा, भारत भूषण तथा संजय कपूर शामिल हैं. गुहा, भूषण और कपूर ने जातीय हिंसा पर मीडिया रिपोर्ताज का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने राज्य का दौरा किया था. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ‘सभी समुदायों’ के प्रतिनिधियों से मिलना चाहिए था, न कि ‘केवल कुछ वर्गों से’.
एन. बीरेन सिंह ने साथ ही कहा कि मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज की है जो मणिपुर राज्य में और अधिक झड़पें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को भी चेतावनी देता हूं कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो मौके पर जाएं, जमीनी हकीकत देखें, सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलें और फिर जो मिला उसे प्रकाशित करें. अन्यथा केवल कुछ वर्गों की बैठक कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अत्यंत निंदनीय है.
राज्य सरकार ने कहा है कि एडिटर्स गिल्ड के उन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जो मणिपुर राज्य में और अधिक झड़पें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.