भागलपुर सिविल सर्जन ने जांच के लिए बनाई पांच सदस्यों की कमेटी
NAUGACHHIA : बीते दिनों नवगछिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी के न्यूज 4 नेशन में छपी खबर पर सिविल सर्जन उमेश शर्मा के द्वारा पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया गया है । इस जांच में एसीएमओ भागलपुर डॉ अंजना कुमारी, जिला टीवी पदाधिकारी डॉक्टर दीनानाथ, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार चौधरी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मोहम्मद फैजान आलम अशरफी और जिला लेखा प्रबंधक विकास कुमार को शामिल किया गया है।वही इस जांच टीम को जल्द से जल्द जांच करके पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है।
क्या था मामला
नवगछिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी के द्वारा बिहार के स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों के लिए कमाई का अड्डा बन चुका था। यह बात एक बार फिर सच साबित हुई थी। सरकारी योजना में कैसे अपने परिवार को फायदा पहुंचाया गया, इसका एक बड़ा उदाहरण नवगछिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया था। जहां कार्यरत केंद्र के प्रभारी डॉक्टर वरुण कुमार ने पद का फायदा उठाते हुए सरकारी योजना के लिए मिली राशि को अपने पिता और पत्नी के खाते में ट्रांसफर करवा लिया है। इस बात की जानकारी उनके ही विभाग से मिली रिपोर्ट से मिली है। जिसमें पत्नी और पिता के खाता की पूरी जानकारी दर्ज है।
आरबीएसके में पिता को पहुंचाया फायदा
बताया गया कि पीएचसी प्रभारी ने आरबीएसके में जमकर धांधली की है। योजना में उन्होंने अपने पिता को लाभ दिलाते हुए उनके खाते में फर्जी तरीके से लाखों रुपए का भुगतान कराया। उत्प्रेरक के नाम पर अपने पत्नी सोनम सोनी के नाम के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आईएफएससी कोड SBIN 0006428 खाता संख्या 2025873693 और आधार संख्या 799421884924 के नाम पर लाखों रूपए का अवैध निकासी किया गया है। यहां काम करनेवाले कुछ कर्मियों की मानें तो स्वास्थ्य केंद्र को वह अपने प्राइवेट संस्थान की तरह चलाते हैं।
अस्पताल के विकास की राशि प्राइवेट खाते में डाले गए
वहीं यह बात भी सामने आई है कि कोरोना काल में अस्पताल को सुद्ढ़ करने के लिए सरकार की तरफ से लाखों रुपए आवंटित किए गए। लेकिन यह पैसा अस्पताल के विकास में खर्च नहीं कर कर्मियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। लोगों का कहना है कि अगर इसकी जांच की जाए तो कई गड़बड़ी के मामले सामने आएंगे।
आरोपों पर दिया जवाब
मामले में जब अस्पताल प्रभारी वरुण कुमार से बात की गई थी तो उन्होंने साफ किया कि जो भी आरोप लगे हैं वह पूरी तरह से गलत हैं। आरबीएसके में कोई भी अपनी गाड़ी दे सकता है। इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि परिवार के लोग गाड़ी नहीं दे सकते हैं। योजना के लिए गाड़ी नहीं मिलता है। हम खुद गाड़ी खोज रहे हैं। वहीं पत्नी ने कोरोना काल में उत्प्रेरक का काम किया था, उसी के पैसे का भुगतान किया गया है। उन्होने काम किया तो उसका पैसा दिया गया, यह कहीं से गलत नहीं है। डॉ. वरुण कुमार ने बताया कि कुछ लोग मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं, ताकि मेरी छवि को धूमिल किया जा सके। किसी को अगर शंका है तो वह जांच कर सकता है।