KATIHAR : एक दौर था जब एक समुदाय विशेष के लोग चूहा खा कर अपने पेट का आग बुझाते थे। सरकार के कल्याणकारी योजना से इन लोगो के जीवन में बदलाव आया। अब कभी-कभार शौक से भोजन में चूहा खाते है। लेकिन बाढ़ की त्रसदी और प्रशासन द्वारा बाढ़ की विभिषिका के सामने सरेंडर करने के बाद एक बार यह समाज पुराने दौर में पहुंच चुका है। बाढ़ की वजह से बेघर हुआ यह समाज चूहा पर ही आश्रित हो गया है।
जिले के कदवा प्रखंड के दांगी टोला की इस तस्वीर पर प्रशासन चाहे जो भी सफाई दे स्थानीय विधायक इससे इंसानियत के लिए शर्मशार बता रहे है।
बाढ़ से प्रभावित इस प्रखंड के पीड़ितों को राहत के नाम पर अबतक चूड़ा भी नहीं मिला है। स्थिति यह है कि लोग चूहा पर ही गुजारा करने को मजबूर हैं। बाढ़ से बेघर हुए एक परिवार के बुजुर्ग सदस्य ने बताया कि बाढ़ में सबकुछ तबाह हो चुका है। उम्मीद थी की राहत के नाम पर कुछ रसद मिलेगी, लेकिन अबतक कुछ नहीं मिला है।
बुजुर्ग कहते है कि पेट की आग तो बुझानी ही है। अनाज न सही चूहा ही सही। मजबूरी में ही सही कुछ चूहा मार कर ले चले ,ताकि परिवार के अन्य लोगो को भोजन के नाम पर पेट भरा जा सके।
बता दें कि कदवा प्रखंड का डांगी टोला पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। घर-बार डूबने के बाद डांगी टोला में लगभग दो से 300 परिवार सड़को पर आश्रय लिए हुए है। सरकार की ओर से अबतक राहत का कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से चूहा खाने से तौबा कर चुका यह समाज अब एक बार फिर चूहा खाने के लिए बेवस है।
इधर प्रशासन अपनी कमी छुपाने के लिए इस समाज के चूहा खाने की पुराने रीत का हवाला दे रहा है। प्रशासन का कहना है कि ये लोग मजबूरी में नहीं शौक से चूहा खा रहे है। चूहा खाना इस समाज की परंपरा और पसंद रही है।
वहीं स्थानीय विधायक शकील अहमद खान इसे इंसानियत के लिए शर्मसार घटना बताते हुए बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर प्रशासन पूरी तरह फैल होने का आरोप लगाते हुए जल्द कदवा को बाढ़ ग्रसित क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे है।
कटिहार से श्याम की रिपोर्ट