MUZAFFARPUR : मुजफ्फरपुर जिले का बीआरए बिहार विश्वविद्यालय आए दिन चर्चा में रहता है। कुछ माह पहले यहां के कुलपति का वेतन रोकने को लेकर यह विवि चर्चा में रहा था। अब चर्चा यहां के शिक्षकों और कर्मियों के पीने के पानी पर हुए खर्च को लेकर हो रही है। बताया जा रहा है कि यहां पिछले एक वर्ष में कर्मियों और शिक्षकों के पानी पीने के लिए लगाई गई टंकी पर 31 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अब नए बजट में राशि में बढ़ोतरी कर 32 करोड़ कर दिया गया है। बता दें कि बीआरएबीयू के परिसर में लगभग एक हजार शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी रहते हैं।
बीआरएबीयू ने अपने बजट में इसका जिक्र किया है। दिलचस्प बात है कि वर्ष 2022-23 में पानी के मद में 26 करोड़ रुपये का बजट था, जो एक वर्ष में पांच करोड़ बढ़ गया। विवि ने नये वित्तीय वर्ष में पानी के मद में 32 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है और राज्य सरकार के पास राशि आवंटन के लिए प्रस्ताव भेजा है।
सिर्फ टंकी और मोटर में खर्च हुए पैसे
विवि कैंपस के सोशल साइंस ब्लॉक में पानी की टंकी लगी है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि टंकी पिछले वर्ष कई बार खराब हुई। इसमें लगे मोटर के बार-बार जल जाने से पानी की आपूर्ति बंद हो गई। भीषण गर्मी में पानी की आपूर्ति बंद होने से बूंद-बूंद को तरसना पड़ा। दो दिन ऐसा हुआ कि खराब होने के बाद मोटर ठीक किया गया, लेकिन कुछ घंटे के बाद ही वह मोटर फिर खराब हो गया। कई बार मटमैला पानी भी नलों से निकला। यह वह तर्क है, जिस पर एक बार में विश्वास करना कठिन होगा।
नहीं बदला टंकी फिर भी
बीआरएबीयू के परिसर में लगभग एक हजार शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी रहते हैं। विवि कर्मियों के घर से लेकर प्रशासनिक भवन कार्यालय तक एक ही टंकी से पानी आता है। कर्मियों ने बताया कि यह टंकी पांच हजार लीटर की है, जो 25 वर्ष पुरानी है। टंकी का पंप वर्षों से खराब है। इसे अब तक बदला नहीं गया है। टंकी से लगी पाइप पूरी तरह जर्जर है। कई जगह पाइप टूट गये हैं। दिनभर में दो बार पानी की टंकी भरी जाती है। यानी एक दिन में 10 हजार लीटर पानी का खर्च विवि में होता है। इस हिसाब से एक महीने में तीन लाख लीटर की खपत विवि में होती है।
नल जल योजना में एक पंचायत के लिए भी इतना बजट नहीं
आश्चर्य की बात है कि जितना बजट सिर्फ एक विवि के कर्मियों के पानी सप्लाई पर खर्च किया गया, उसका एक हिस्सा भी एक पूरे पंचायत में नल जन योजना पर खर्च नहीं किया जाता है। यहां लाखों का बजट ही हजारों परिवार को पानी सप्लाई हो जाती है।