DESK: गांधी की कर्मभूमि पर सेहत वाले महकमे के कार्यकारी प्रधान का सपना अधूरा रह गया. जुगाड़ तकनीक से खर्चा-पानी कर वित्तीय ताकत लिया. लेकिन सिर मुंडाते ही ओले पड़ गए। सेहत वाले महकमे के जिला स्तरीय कार्यकारी प्रधान अभी जश्न भी नहीं मना पाए, इसके पहले ही रंग में भंग पड़ गया. बेचारे की सारी तैयारी धऱी की धऱी रह गई और सरकार ने सेहत महकमे के जिला प्रधान के तौर पर नए हाकिम के पदस्थापन की अधिसूचना जारी कर दी. सरकार अगर 48 घंटे तक नए प्रधान की नियुक्ति नहीं करती तो कार्यकारी प्रधान ने शिवरात्रि के मौके पर जुगाड़ तकनीक से जबरदस्त जश्न की तैयारी थी.जिला स्तरीय सेहत वाले महकमे के हाकिम के लिए अलॉट बंगले में जश्न मनाया जाना था, जश्न के लिए 6 लोगों के मत्थे पर व्यवस्था का जिम्मा थोपा गया था.
सूत्र बताते हैं कि गांधी की कर्मभूमि वाले जिले में सेहत महकमे के कार्यकारी प्रधान को पिछले हफ्ते ही वित्तीय प्रभार भी मिल गया था. वित्तीय ताकत दिलाने में कई का जबरदस्त रूप से सहयोग रहा. कहा जाता है कि हाकिम के दफ्तर के तीन बाबू और एक सहयोगी ने खर्चा-पानी की पूरी व्यवस्था की थी. खर्चा-पानी की वजह से ही वित्तीय ताकत नसीब हुआ था. वित्तीय ताकत मिलने के बाद सेहत वाले महकमे के जिला कार्यकारी प्रधान खुश हो गए थे. क्यों कि मार्च का महीना है, सारा खर्चा-पानी निकलने की पूरी गुंजाइश थी.हालांकि वित्तीय ताकत दिलाने में रसीले साहब के दफ्तर के तीन बाबूओं का सहयोग लिया था.
कार्यकारी जिला प्रधान सपने में भी नहीं सोचे होंगे कि यह स्थिति आएगी. क्यों वित्तीय ताकत मिलने के बाद उन्हें लगने लगा था कि आगे भी वे सेहत वाले विभाग में जिला प्रधान के तौर पर काम करते रहेंगे. लेकिन सरकार के आदेश से वे चारो खाने चित्त हो गए. शिवरात्री के मौके पर सरकारी बंगले में गृह प्रवेश करना था. गृह प्रवेश को लेकर स्वागत से लेकर भोज-भात की जबरदस्त व्यवस्था की गई थी. किसी पर चादर तो किसी पर फूल और गुलदस्ता तो किसी के जिम्मे दूध से लेकर मिठाई तक की व्यवस्था का जिम्मा दिया गया था. लेकिन 6 मार्च की शाम जैसे ही सेहत वाले विभाग की तरफ से जिला प्रधान के पदस्थापन की अधिसूचना जारी हुई, कार्यकारी प्रधान जिन्हें पिछले हफ्ते ही वित्तीय ताकत मिली थी, वे चारो खाने चित्त हो गए. सिर्फ साहब ही नहीं बल्कि उनके सहयोग बाबूओं का भी मुंह लटक गया. वित्तीय पावर दिलाने में जो खर्चा-पानी लगा था वो भी पानी में गया. कुल मिलाकर कहें तो सब गुड़-गोबर हो गया.